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तीर्थाटन-पर्यटन विकास को नई दिशा देने में बेहद सफल रहा उप्र विकास संवाद-2

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आध्यात्मिक, सांस्कृतिक काया के साथ पर्यटन को नया कलेवर देना जरूरी: योगी आदित्यनाथ
लखनऊ (आरएनएस)। प्रदेश में तीर्थाटन, पर्यटन के विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ क्षेत्रीय विकास के बारे में अवगत कराने के उद्देश्य से हिन्दुस्थान समाचार की ओर से शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित उत्तर प्रदेश विकास संवाद-2 कई मायनों में बेहद अहम रहा। इसमें प्रदेश के विधानसभा स्तर तक के तीर्थाटन और पर्यटन क्षेत्रों के बारे में लोगों को अवगत कराया गया। इनमें से कई तो ऐसे क्षेत्र हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण होने के बावजूद अभी पर्यटन के नक्शे पर अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इस आयोजन की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के तीर्थाटन और पर्यटन को नई दिशा देने में यह आयोजन बेहद सार्थक है और सरकार के प्रयासों में मददगार साबित होगा। उन्होंने इस मौके पर एक विधानसभा-एक पयर्टन केंद्र पर केंद्रित प्रदेश में तीर्थाटन-पयर्टन और क्षेत्रीय विकास के विविध आयामों को लेकर हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी की पत्रिका युगवार्ता के विशेषांक का लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश बहुत समृद्ध है लेकिन उस समृद्धि को समाज के समक्ष लाने में अभी तक संवादहीनता और दूरदर्शिता के अभाव की स्थिति रही है। इस स्तर पर व्यापक काम होना चाहिए था, लेकिन नहीं हुआ। हिन्दुस्थान समाचार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से एक अच्छी पहल की है। इसके लिए मैं उसे साधुवाद देता हूं और उम्मीद करता हूं कि हिन्दुस्थान समाचार के इस प्रयास के अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे।
कूप मंडूक रहकर हम नहीं ला सकते परिवर्तन उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए हमें मानसिक तौर पर तैयार रहना होगा। कूप मंडूक रहकर हम परिवर्तन नहीं ला सकते। इस स्थिति से उबरना होगा और आगे जाना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि और पर्यटन का क्षेत्र उत्तर प्रदेश में सबसे उर्वर और जल संसाधन से भरपूर है। इन दोनों ही क्षेत्रों में विकास की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार ने ढाई साल में इस दिशा में जो प्रयास किए हैं, उसकी झलक देखने को मिल रही है।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पास अयोध्या, मथुरा, काशी, वृंदावन, नैमिष आदि कई प्रमुख तीर्थस्थल, बौद्धस्थल हैं, जो धार्मिक पर्यटन का हिस्सा है। पर्यटन को आध्यात्मिक पर्यटन तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए बल्कि उसे हैरिटेज, वन्यजीवन तक बढ़ाया जाए तो इसे योजना बनाकर रोजी-रोजगार से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन क्षेत्र को तीर्थाटन से आगे ले जाकर हम आर्थिक स्वावलम्बन की दृष्टि से बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर पर्व भारत में किसी न किसी ऐसी घटना से जुड़ा है, जो युग परिवर्तन करते हैं।
संतों से बात करके अयोध्या में शुरू की दीपोत्सव की परम्परा उन्होंने कहा कि अयोध्या में पहले दीपावली पर शस्त्र पूजन आदि कर लिया जाता था लेकिन हमारी सरकार ने संतों से बात कर सामूहिक रूप से दीपोत्सव मनाने की परम्परा शुरू की। अयोध्या के साथ दीपोत्सव अब जुड़ चुका है। योजना और सहभागिता साथ-साथ चले तो पर्यटन को नई दिशा दी जा सकती है। अयोध्या में पहले धर्मशालाएं हुआ करती थीं लेकिन अब अयोध्या का सर्वांगीण विकास होना है। अब वहां होटल और रेस्टोरेंट के लिए लोग हमसे सम्पर्क कर रहे हैं।


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