सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
संसार मदिरा का प्याला
म से मन्दिर
म से मस्जिद
म से मयखाना
म से मदिरा जानी
हां सुनो कहानी
ओ राजा जानी।
मान सम्मान अपमान की छोड़ो
ईमान धरम डिग जाता
मदिरा की मस्ती में आकर
आदमी खड़ा-खड़ा बिक जाता।
एक आदमी की क्या हस्ती
मदिरा में वो मस्ती
मस्त कलंदर हो जाती है
पूरी की पूरी बस्ती।
श्री राम
श्री कृष्ण के इस महान देश में
सब कुछ उल्टा-पुल्टा जानी
झुग्गी-झोंपड़ी से लेकर आलीशान महलों होटलों तक
गुनगुनाई जाती यही कहानी
मदिरा की रुत मस्तानी
ओ राजा जानी।
मदिरा की सल्तनत प्रभो ऐसी
सरकार की ऐसी की तैसी
घुटनों के बल
नतमस्तक है
मदिरा को समझो ना ऐसी-वैसी
हाथ जोड़ सरकार खड़ी है
मदिरालय की दर पे पड़ी है
मदिरा मानवता से बड़ी है
जल थल नभ में मदिरा की तड़ी है।
बोलो राम बोलो राम
बोलो श्याम
हरे राम हरे राम हरे राम
सरकारों की ताकत मदिरा
अधिकारियों की जान है मदिरा
पुलिस वालों की शान है मदिरा
ठेकेदारों का अरमान है मदिरा
मंदिरालय में भक्तों के मेले
मदिरालय में भक्तों के रेले
बोलो
मदिरा बड़ी या भगवान
मदिरा हम सब की है डॉन
बीच में आएगा फिर कौन।
रायवाला देहरादून के इस साइन बोर्ड को देखो
मौन कलाकारी को समझो
शब्दों का हेर-फेर निराला
कोई रंगीन कोई गोरा कोई काला
दुनिया का यह गड़बड़झाला
मजाल कोई चुनौती दे दे साला
संसार बन गया मदिरा का प्याला
कैसे संभालेगा समाज को कोई ईमानदार पुलिस वाला
क्या करेगी सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला की खाला।
नीतीश कुमार जी
वाकई आप जिगर वाले हैं
बाकी के दिल काले हैं
यह तो नहीं कह सकते
किन्तु बाकी समझौते वाले हैं।
-इति