जिहादिस्तान है कि मानता नहीं
1947 में उसने दरार डालकर जिहादिस्तान बनाया
1964 में जंग थोपकर अपनी फजीहत कराई
1971 में फिर जंग थोपकर अपनी तुड़ान कराई
जिहादिस्तान के अत्याचारों ने बांग्लादेश की नींव पड़ाई
जिहादिस्तान ने 1980 के दशक से कश्मीर में जिहाद की फसल उगाई
मासूम कश्मीरी पंडितों से कश्मीर की घाटी खाली कराई
यही वक्त था जब भारत ने जिहादिस्तान के हाथों मात खाई
यही वक्त था जब जिहादिस्तान ने घाटी में जिहाद की करी बुआई
घाटी में मुसलमान पीढ़ियाँ जिहाद के रंग में रंग गईं भाई
अब अगर थोपे जिहादिस्तान हम पर फिर एक लड़ाई
स्वतंत्रता को छटपटा रहे बलूचिस्तान को काट दो जिहादिस्तान से भाई
सिन्ध को भी आजादी की सौगात दिला दो भाई
तोड़ो जिहादिस्तान को ऐसे मिले अफगानिस्तान को राहत साईं
जिहादिस्तान की फितरत है खून-खराबा और लड़ाई
जिहादिस्तान के दिल में केवल जिहाद की अफीम समाई
जिहादिस्तान के टुकड़े-टुकड़े है जिहाद के मर्ज की दवाई
यही है इकलौता कष्मीर का इलाज बीर के दिल की यही दुहाई
चीन का भी एक हाथ कट जाएगा भूल जाएगा करना जिहादिस्तान की रहनुमाई
जिहादिस्तान है कि मानता नहीं की रट से छुटकारा दो भाई।
virendra dev gaur
chief editor