वीर सावरकर
तेरी 52वीं पुण्य तिथि पर
याद आया तेरा चमत्कार
देश प्रेम की बलिवेदी पर
टिका रहा तेरे जीवन का सार
मक्कार और लिच्चड़ अंग्रेज तभी तो
खाते थे तुझसे खार
सबसे भयानक कैदी तुझको कहते थे
नहीं पा सके कभी तेरा पार
अंडमान-निकोबार यानी काला पानी की बर्बर सजा में
तूने समझा मिला तुझे माँ भारती का दुलार
तभी तो अंग्रेज काँपते थे थर-थर
जैसे काँपते थे वे सुभाष चन्द्र बोस से डरकर
हे अमर शहीदों के शहीद कवि स्वंतत्रता-संग्रामी तेरे चरणों में नमन बारम्बार।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)