प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की भर्ती प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बनाई है। अब बारहवीं से ज्यादा पढ़े युवा चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए अयोग्य होंगे। उस तरह के काम करने वालों के मानदेय, शैक्षिक योग्यता और पदनाम भी निर्धारित किए जाएंगे।
प्रदेश सरकारी विभागों और उनके अधीनस्थ संस्थाओं में बाहर से काम मिलता है। लंबे समय से कर्मचारी संगठन ने इन लोगों से शोषण की शिकायतें की हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रणाली को बेहतर बनाने का आदेश दिया था। 10 अक्तूबर को, श्रम विभाग ने उन्हें इस संबंध में एक कैबिनेट प्रस्ताव भेजा था। अगले दिन मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने बैठक कर सीएम के सुझावों को शामिल कर बनाया गया नया प्रस्ताव अंतिम रूप दे दिया।
ये भी अहम हैं— प्रदेश में आउटसोर्सिंग पर 3 लाख से अधिक लोग काम करते हैं।
– आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मचारियों को कम से कम 7000 रुपये और अधिकतम 14 हजार रुपये की सैलरी मिलती है। कई विभागों में काम के अनुसार अधिक वेतन भी मिलता है।
– प्रदेश में आउटसोर्सिंग से प्राप्त कर्मचारी नगर विकास और स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करते हैं।
– बहुत से कर्मचारी संगठन में चयन के समय न्यूनतम 18 हजार रुपये देने की मांग कर रहे हैं।