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उमा भारती की पावन ललकार

-वीरेन्द्र देव गौड़, पत्रकार, देहरादून

उमा भारती ने नूपुर शर्मा को लेकर बिल्कुल ठीक कहा। दुनिया के कथित सबसे बड़े राजनीतिक दल को भारत की एक बेटी को इस बेहयाई से मझधार में नहीं छोड़ना चाहिए था। जिहाद के आगे नहीं झुकना चाहिए था। जिहादी आतंक के आगे सर नहीं झुकाना चाहिए था। ऐतिहासिक भूल की गयी है इस दल के द्वारा। यह दल माफ किए जाने लायक नहीं है। इसने भारतीय तेज और तेजस्विता को कुंद कर दिया। भारत का मस्तक झुका दिया। नूपुर शर्मा ने जो भी कहा उसका साथ भले ही न देते लेकिन उसका साथ छोड़ना नहीं था। दूसरे दिलेर सज्जन नवीन कुमार जिंदल के पराक्रम को दुत्कारना नहीं था। भले ही उन्हें पुचकारते नहीं। इन दोनों ने जो भी कहा वह झूठ है या सच। इसकी जाँच लोगों को करने देनी चाहिए थी। लोगों के जाँच करने के अधिकार को चुनौती नहीं देनी चाहिए थी। क्या लोगों के पास विवेक नहीं है। क्या लोग मजहबी और धार्मिक लिटरेचर पढ़ते नहीं हैं। लोगों को किसी तरह का फरमान सुना देना इस कथित सबसे बड़ी पार्टी को शोभा नहीं देता। तेल बेचने वालों को अगर इतनी छूट दी गयी तो भारत में एक दिन जिहादियों का  परचम लहराएगा। वैसे उनका ही परचम लहरा रहा है। थोड़ा सा कसर रह गयी है। वह कसर पूरी होने वाली है। राजनीतिक दलों का यही आचरण रहा तो मुगल काल और सल्तनत काल की वापसी तय है। गजवा-ए- हिन्द मुस्तफा का राज कायम होना पक्का है। हिन्दू आज भी जिहादी आतंक को केवल आतंक कहकर उसकी ताकत को बढ़ा रहा है। उसके इरादे बुलंद कर रहा है। पत्थर जिहाद, जुम्मा जिहाद, मस्जिद जिहाद, जमीन जिहाद, छल जिहाद और मकबरा जिहाद को समझ कर भी हिन्दू ना समझ बना हुआ है। अब तो भारत में राजनीतिक जिहाद चरम पर है। जिसका नतीजा यह है कि दो जिहादी हैदराबादी बंधु छाती तान कर भारत में घूम रहे हैं। इन दोनों ने और इनके मौलवियों काजियों ने भारतीय दण्ड संहिता की कौन सी धारा को चुनौती नहीं दी। ये दोनों और भारत के मुल्ला मोलवी रोज भारत को तहस-नहस करने की धमकियाँ देते हैं लेकिन कोई इन्हें जेल भेेजने की जहमत नहीं उठाता। स्वामी यतीश्वरानंनद थोड़ा जोर से भी बोल देते हैं तो उन्हें जेल में ठूंस दिया जाता है। कथित सबसे बड़े दल के विरोधी दलों में मौजूद मुल्ले मौलवी रोज-रोज संविधान को आगे करके संविधान को गाली देते हैं। सुबह से शाम तक देश को गाली देते हैं। लेकिन इन पर कोई कार्यवाही नहीं होती। ज्ञानवापी के शिवलिंग का साढ़े तीन सौ सालों से अपमान किया जा रहा है। लेकिन हिन्दू मठाधीश चुपचाप बैठे हैं। वे अपने मठों से बाहर निकल कर भगवान त्रिलोचन के अपमान की बात तक नहीं कर रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो 1947 में जिहाद ने देश को तोड़ा था और आने वाले कुछ वर्षों में जिहाद देश को खण्ड-खण्ड कर देगा। इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं। हिन्दू हारता रहा है और भविष्य में भी हारेगा। उसे तो संविधान ने ही जातियों में बाँट डाला है। जबकि संविधान को जातियों को जोड़ना चाहिए था। बहरहाल, उमा भारती ने सच का साथ दिया है। इसके लिए हिन्दुओं के मन में उनके लिए सम्मान बढ़ गया है।


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