32 साल बाद कश्मीरी पंडितों की परम्परागत पूजा
मोहन भागवत भी इस पूजा में हिस्सा लेंगे
नेशनल वार्ता ब्यूरो
चैत्र नवरात्र के शुभ आरम्भ पर कश्मीरी पंडित 32 साल बाद जम्मू में अपनी परम्परागत देवी पूजा करेंगे। कश्मीरी पंडितों में इस पूजा के लिए बहुत उत्साह है। 30 साल पहले कश्मीर में हुए खूनखराबे और मजहबी ताण्डव में कश्मीरी पंडितों पर बहुत अधिक अन्याय हुआ था। उन्हें घाटी से खदेड़ दिया गया। ऐसे हालात पैदा कर दिए गए कि उन्हें लगा था कि जिन्दा रहना है तो घाटी छोड़नी होगी। लिहाजा, कश्मीरी पंडित बड़ी संख्या में कश्मीर घाटी छोड़ कर देश के विभिन्न हिस्सों में शरणागत हुए थे। उन्हें इस पूरी त्रासदी मेें भंयकर कष्ट सहने पड़े। अभी तक कश्मीरी पंडित अपने घरों को लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि उनके पड़ोसियों ने ही उन पर जुल्म किए थे और अपने आतंक का शिकार बनाया था। बिट्टा जैसे जिहादियों जिन्होंने दर्जनों कश्मीरी पंडितों के खून किए। जो खुद इस तथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें किसी तरह की सजा नहीं दिलाई जा सकी है। यासीन मलिक ने कई हिन्दुओं की हत्या की और कई हिन्दुओं की हत्या में परोक्ष रूप से शामिल था। उस पर भी अभी तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई। इन लोगों के साथ कश्मीर घाटी के लोगों ने कश्मीरी पंडितों के भगाने के बाद घाटी में जश्न मनाए थे। इन्हें कंधों पर उठाकर इनके हाथ चूम-चूम कर बरपाए गए जिहाद के लिए इन्हें शाबाशियाँ दी थी। यह दृश्य देश के लोग आज भी भूले नहीं हैं। ऐसी स्थिति में भले ही धारा-370 हटा दी गई हो परन्तु पीड़ित हिन्दू वापस जाएं तो कैसे। बहरहाल, कश्मीरी पंडित आज सुबह से ही उत्सव के रंग में रंगे हुए हैं और देवी की पूजा कर रहे हैं। यह देवी दुर्गा देवी का ही रूप है जिसे कश्मीरी पंडित अपार श्रद्धा से सर नवाते हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी वर्चुअल तरीके से जम्मू में देवी पूजा का शुभ आरम्भ करेंगे। जम्मू के आरएसएस कार्यालय में यह पूजा होने जा रही है। द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने के बाद यह घटना सुखद कही जा सकती है। -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून।
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