टीचर नहीं फटीचर हूँ मैं
शैतान पब्लिक स्कूलों का गुलाम
स्टूडैंट्स का परमानेन्ट शनिश्चर हूँ में
अय्याश मालिक मेरे बने बैठे डायरेक्टर-प्रिंसिपल
हमारी मदद से पैरेंट्स को लूट रहे पल-पल
सच है हम मन से कभी पढ़ाते नहीं
स्टूडेंट्स को टेंशन देने से बाज आते नहीं
पैरेंट्स को बरगलाने में नहीं हमारा जवाब
स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को कोल्हू का बैल बनाने में हम लाजवाब
अंग्रेजी माध्यम के नाम पर हम चूस रहे पैरेंट्स का खून
स्कूलों का धंधा बन गया बारहमासा हनीमून।
टीचर नहीं फटीचर हूँ मैं
सरकारी हूँ या प्राइवेट हूँ मैं
इक्का दुक्का टीचर होते सही
बाकी लिच्चड़-लम्पट वही
देश में बज रहा यहाँ शिक्षा का बाजा
स्कूल मालिक बन बैठा राजा
कोर्स लम्बाचौड़ा किताबें ढेर सारी
बच्चों के कोमल मन पर चल रही आरी
न वैज्ञानिक न इंजीनियर न डॉक्टर न टीचर न खिलाड़ी
बन रहे ढंग के
शराबी कवाबी रिश्वतखोर देशद्रोही पैदा हो रहे बेढंगे
नेताओं बाबाओं की देश में भरमार
सच और न्याय की पग-पग हार
देश में मचा है हाहाकार
तभी तो कह रहा हूँ यारो
राधे-राधे जय राधे
फ्रॉड पूरे हैं नहीं आधे।
virendrA DEV gaur
chief Editor