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सिलक्यारा त्रासदी बनाम कथित सुगम तीर्थयात्रा?

– जयप्रकाश उत्तराखंडी

एक सदी पहले तक परम्परा थी कि चार धाम यात्रा करने वाले तीर्थ यात्री का परिवार वाले पिण्ड दान कर देते थे, इसलिए कि जीवित कोई भाग्यशाली ही लौटता था। बद्री-केदार या गंगोत्री यमनोत्री जाने वाले आधे से ज्यादा तीर्थयात्री दुर्गम, जंगली और बीहड़ रास्तों से पैदल चलते चलते रास्ते में स्वर्ग सिधार जाते थे। कुछ को नरभक्षी जानवर खा जाते थे। यात्रा पर जाने से पहले जान पहचान वाले व परिवार के लोग जिंदे तीर्थयात्री का मृत्यु भोज खाते थे। सबको पता था, शायद ही लौटें।

स्वामी विवेकानंद की आयरिश शिष्या भगनी निवेदिता (मार्ग्रेट एलिज़ाबेथ नोबल) ने 1904 के आसपास हरिद्वार से पैदल बद्रीनाथ की यात्रा 25 दिन में पूरी की। अपने संस्मरण में उन्होंने लिखा कि उनके साथ के करीब तीन यात्री बद्रीनाथ पहुंचने से पहले ही स्वर्ग सिधार गये थे। उन दिनों ऋषीकेश से ऊपर पैदल मार्ग गंगा पार कर पौडी़ जिले से गुजरता हुआ देवप्रयाग निकलता था।

आज के तथाकथित तीर्थयात्रियों को तीर्थ स्थल हथेली पर चाहिए, ताली बजायी कि हवाई यात्रा कर वे बद्री केदार घूमकर दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद में अपने घर रात का डिनर खाने लौट आयें और इंतजार करते दुकान, शोरूम के मुंशी से हिसाब-किताब कर रात को घर के बिस्तर पर मजे की नीदं लें।

मैं तो हिल स्टेशन में रहता हूँ, आज के अधिकतर अमीर और मध्यवर्गीय लोग एक भी त्योहार घर नहीं मनाते, त्यौहार की छुटटी में पहाड़ पर टहलते मिलते हैं। यहां तक कि दिवाली भी अधिकतर घर नहीं मनाते। त्योहार अब मजा करने की चीज है।

लोकल पहाडी़ गलतफहमी में न रहें कि सिलक्यारा जैसी टनल धरासू, भंडारस्यूं या बड़कोट रवांई के लोगों की सुविधा के लिए बन रही है। यह टनल बाहरी राज्यों से आने वाले यात्रियों के लिए बन रही है, ताकि राडी टाॅप जैसा बीहड़ 34 किमी लंबा रास्ता साढे़ 4 किमी की सिलक्यारा-बड़कोट टनल से फटाफट पूरा हो सके।

सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों की कथायें, कुछ दिन सुर्खियों में रहेंगी, लेकिन जब टनल का उद्घाटन होगा, लोग भूल चुके होंगे कि कोई हादसा हुआ था। मैं इस मामले में मुख्यमंत्री धामी जी और उनकी प्रदेश सरकार की तारीफ करूँगा कि वे 41 मजदूरों की जान बचाने के लिए आकाश पाताल एक किये हुए हैं। जल्दी ही श्रमिक सकुशल टनल से बाहर निकलकर अपने परिजनों से मिलें। प्रलयनाथ भोले शंकर से प्रार्थना है कि वह 41 मजदूरों के साथ पहाडो़ं और चार धामों पर अपनी कृपा बनाये रखें।

 


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