अरे शम्भूलाल रेगर
तूने ये क्या कर दिया
गेहूँ के साथ घुन पीसने का गुनाह कर दिया।
शम्भूलाल रेगर
तेरे खून की गर्मी इतनी चढ़ गई,
तूने तड़फा-तड़फा कर
मौत के लिये तरसा-तरसा कर
मासूम जानवरों की हत्या करने के शौकीनों के
एक सदस्य को यों बेदर्दी से
क्यों मार डाला भई।
देख शम्भूलाल रेगर
भारत माता की बेटियों की
जलालत पर तो हम भी आँसू बहाते हैं
किंतु तेरी तरह किसी मासूम का
खून थोड़े ही बहाते है।
अगर बेचारा अफरजुल
लव जेहाद में मुलव्विज था
तो तूने घिनौना रास्ता क्यों चुना,
नौजवान अब तू
मौत के फंदे में झूलेगा
महज छत्तीस साल में खून के आँसू रोएगा।
देख शम्भूलाल रेगर
ये भारत है
सहनशील उदारवादी देश
तुझे शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा,
लव जेहाद की फिल्म इंडस्ट्री मुंबई
देख, हिल कर रह गई
तुझे जमकर कोसेगी
तेरे कांड पर फिल्मी फार्मूला तलाशेगी।
लव जेहाद तो
चल रहा है भारत में
अकबर के जमाने से
बल्कि अकबर के पहले से,
हाँ इतना ज़रूर है
यह लव जेहाद होता तो शायद
भारत की तस्वीर अलग होती,
अरे शम्भूलाल रेगर अनाड़ी
ये तो हेट-जेहाद यानी नफरत-जेहाद है रेे
जिसमें हिन्दुस्तानी बेटियाँ
घुट-घुट कर जलालत की मौत मर रही हैं
इनके प्यार के झाँसों में मछली की तरह फँसकर।
(Virendra Dev Gaur)
Chief-Editor