कोरोना प्रहार के बावजूद अर्थव्यवस्था का प्रसार रोजगार के लिए जरूरी
सभी सैक्टरों में आईटी की पैठ (approach) को और तेज गति से बढ़ाना जरूरी
नेशनल वार्ता ब्यूरो
मौजूदा सरकार की आत्मनिर्भर वाली नीति तेजी से बढ़ती आबादी के मद्देनजर बढ़ती बेरोजगारी का कारगर समाधान बताया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत की नीति के तहत स्व-रोजगार का वातावरण तैयार करके वोकल फॉर लोकल पर जोर देते हुए रोजगार का सृजन किया जा रहा है। जिसके परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं मगर इस एकतरफा प्रयास से बड़े नतीजे की उम्मीद करना उचित नहीं लग रहा। एक जनपद एक उत्पाद का नारा भी देश के लिए फायदेमंद नजर आ रहा हैं क्योंकि इस नीति के तहत किसानों को तवज्जो दी जा रही हैं ताकि उत्पादन में बढ़ोतरी कर वे निर्यात पर जोर दे सकें। कृषि के क्षेत्र में यह नीति रोजगार परक मानी जा रही है क्योंकि जिन राज्यों में इस नीति पर अमल किया जा रहा है वहाँ के किसान खुद को उत्साहित महसूस कर रहे हैं। देश में किसान रेलों की शुरूआत ने भी अच्छा असर दिखाया है। इसी तर्ज पर आईटी सैक्टर में भी फैलाव दिखाई दे रहा है। पिछले कुछ सालों में आईटी सैक्टर ने जबरदस्त प्रगति की है किन्तु इसी क्षेत्र में मौलिकता (local approach) की कमी बरकरार है। जो भी हो यह क्षेत्र रोजगार की दृष्टि से महासागर की तरह है। सरकारी नीतियों पर बहुत कुछ निर्भर करता है। यदि पूरे विश्व के आईटी परिदृश्य पर नज़र डालें तो यह बात समझ में आती है कि भारत अभी भी वह गति नहीं पकड़ पाया है जो इसके लिए अपेक्षित है। विशेषज्ञों की राय में नई शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं में रोजगारपरक सोच का विकास करेगी और समूचे औपचारिक शिक्षा क्षेत्र (formal education field) में मौलिकता के साथ-साथ कार्य कुशलता में भी बढ़ोत्तरी होगी। साथ में अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बेहतर नतीजे सामने आएंगे। ये सभी प्रयास तब धरातल पर दिखाई देंगे जब जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण कायम हो सकेगा। ये तभी सम्भव है जब जनसंख्या नीति (population policy) पर कड़े फैसले लिए जा सकेंगे यही नहीं कुशल भारतीय युवाओं को देश में ही रोजगार के अच्छे अवसर मिल पाएंगे। इसीलिए, अर्थव्यवस्था (economy) में बड़े-बड़े फैसलों की प्रतीक्षा की जा रही है। देश के लिए यह शुभ संकेत अभी तक आना बाकी है कि देश के प्रतिभाशाली युवा देश में रहकर अपना योगदान दे सकें। ऐसा न हो पाने की सूरत में ही देश से प्रतिभाशाली युवाओं का भी पलायन हो रहा है। -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार