ऋषिकेश (दीपक राणा) । मकर संक्रांति के इस शुभ अवसर पर झंडा चौक पर नए झंडा स्तंभ का उद्घाटन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में सांसद हरिद्वार डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक जी के कर कमलों द्वारा किया गया।। ऋषिकेश पर्वतीय जनपदों का प्रवेश द्वार होने के कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का भी यह गढ रहा है। और झंडा चौक का इतिहास भी गौरवमई रहा है। बताया जाता हैं कि ऋषि मुनियों की इस नगरी में बंगाल गुजरात उड़ीसा और पंजाब आदि से आए क्रांतिकारियों ने साधु वेश में केवलानंद आश्रम में रुक कर प्रचंड रूप से देश की आजादी में अतुलनीयत योगदान दिया। समस्त आंदोलनकारी झंडा चौक में एकत्र होकर जुलूस की शक्ल में आंदोलन में शामिल होते थे। सन 1929 -30 में नमक सत्याग्रह में देहरादून जिले से 400 लोग जेल गए थे। जिसमें कहते हैं कि 70 से ज्यादा सन्यासी भी जो कि ऋषिकेश झंडा चौक में एकत्र होकर देहरादून गए। 1919 और 17 नवंबर 1921 में ब्रिटिश आगमन के विरोध में इसी स्थान पर ध्वजारोहण कर हड़ताल पर बैठे सन्यासियों किसानों ने हल चलाना सत्याग्रह किया था।। सन 1921 में बारडोली सत्याग्रह के समर्थन में देहरादून के हररावाला नामक संस्थान बड़ी सभा में ऋषिकेश झंडा चौक से एकत्र हुए औघड़ बाबा की भारी जमात वहां पहुंची जिन्हें देखकर अंग्रेजों के भी होश उडते थे।टिहरी जन क्रांति में भी यहां से आंदोलन का श्रीगणेश एवं संचालन होता रहा है। रानीपोखरी श्यामपुर आदि से आजादी के दीवाने इसी स्थान पर एकत्रित होते थे ।यह सब किसी धरोहर से भी कम नहीं है।। इस अवसर पर हर्षवर्धन शर्मा, महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, वरुण शर्मा, प्रतीक कालिया, शैलेंद्र ,जितेंद्र अग्रवाल ,गोविंद सिंह रावत, मनोज भट्ट ,संजय अरोड़ा ,सुनील दत्त थपलियाल, रंजन अथतवाल जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान आदि उपस्थित थे।
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