देहरादून (संवाददाता)। राज्य आंदोलनकारियों ने कहा है कि विस सत्र में आंदोलनकारियों की मांग पर सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों को एक बार फिर से झुनझुना थमा दिया है। सरकार जिस पेंशन सुविधा की बात कर रही है वह पिछली सरकार की ओर से जारी किया गया मानदेय है। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति ने कहा है कि विधानसभा सत्र में कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने आंदोलनकारियों की मांगों का मुद्दा उठाया था। लेकिन सरकार ने इस मुद्दे को बड़ी चतुराई से खुर्दबुर्द कर दिया। और कहा कि आंदोलनकारियों की सुविधाओं में कटौती नहीं की जाएगी। समिति के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी पांडे ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी सरकार के इस जवाब की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जवाब दे कि सुविधाओं की बात करने वाली सरकार ने पिछले दो सालों में राज्य आंदोलनकारियों की कौन सी मांग को पूरा किया है। पेंशन के मुद्द पर पांडे ने कहा कि यह पिछली सरकार की ओर से दिया गया मानदेय है। वर्तमान सरकार ने पिछले दो सालों में कुछ नहीं दिया। अपने दो साल से अधिक के कार्यकाल में वार्ता तक करना उचित नहीं समझा। आरक्षण के मुद्दे पर हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि अगर राज्य सरकार चाहे तो अपना एक्ट बना कर राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण दे सकती है। लेकिन सरकार यह भी नहीं कर पाई। पांडे ने कहा कि अब समस्त राज्य आंदोलनकारी एकजुट हो चुके हैं। सरकार के विरुद्ध आंदोलन का मन बना रहे हैं। इस मौके पर जिलाध्यक्ष विशंभर दत्त, जिला महामंत्री चिंतन सकलानी, महिला प्रकोष्ठ की केंद्रीय अध्यक्ष सावित्री नेगी, कार्यकारी जिलाध्यक्ष सुखदेव कंडवाल, कमलेश नैथानी, डा. आशुतोष डंगवाल, अंजू गैरोला, देवी प्रसाद व्यास आदि मौजूद रहे।
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