देहरादून (संवाददाता)। देहरादून के चर्चित एमबीए छात्र रणवीर सिंह के फर्जी एनकाउंटर मामले में आरोपी उत्तराखंड के 7 पुलिसकर्मियों को मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया है। जबकि इस एनकाउंटर में कोर्ट ने 11 पुलिस कर्मियों को मामले से बरी कर दिया है। 3 जुलाई 2009 को देहरादून में हुए इस एनकाउंटर में कुल 18 पुलिसकर्मियों ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट की सजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी। अब बहस के बाद अगली सुनवाई में दोषियों को सजा सुनाई जाएगी। तीस हजारी कोर्ट ने जून 2014 में 17 पुलिसकर्मियों को हत्या, अपहरण,
सुबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने व उसे अंजाम देने के मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वहीं एक आरोपी जसपाल सिंह गोसांई को हत्या, अपहरण व सुबूत मिटाने के मामले में बरी कर दिया था। हालांकि अदालत ने गोसांई को आइपीसी की धारा 218 के तहत गलत सरकारी रिकार्ड तैयार करने के मामले में दोषी करार दिया था, साथ ही 50 हजार का मुचलका भरने का निर्देश भी दिया था। मामले की जांच सीबीआई कर रही थी। शुक्रवार तीन जुलाई 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल देहरादून आ रही थी। चैकिंग के दौरान दोपहर बाद सर्कुलर रोड गुरुद्वारा के पास तत्कालीन आराघर चौकी इंचार्ज पीडी भट्ट एक मोटरसाइकिल पर आ रहे तीन युवकों को रोकते हैं। पुलिस के अनुसार युवकों ने चौकी इंचार्ज पर हमला कर सर्विस पिस्टल लूट ली। पुलिस ने घटनाक्रम का गवाह मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियर पवरेज आलम को बताया। दो घंटे बाद पुलिस ने इन युवकों में से एक को लाडपुर के जंगल में मार गिराने का दावा किया है। जबकि दो युवक भाग गए। मारे गए युवक की पहचान रणवीर पुत्र रविंद्रपाल निवासी खेकड़ा बागपत के रूप में हुई।