नई दिल्ली (संवाददाता)। गोदामों में पड़ी पुरानी दालों को बेचने की बाध्यता के मद्देनजर सरकार दिवाली से पहले ही सस्ती दालें राज्यों और सरकारी एजेंसियों को बेचने की तैयारी कर चुकी है। कैबिनेट की अगली बैठक में लागत से कम मूल्य पर दाल बेचने के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। हालांकि इस फैसले से करोड़ों की सब्सिडी का बोझ सरकारी खजाने पर पड़ेगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने एक संवाददाता सम्मेलन में दाल जैसे अहम मसले पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि देश में दालों की कोई कमी नहीं है। फिर भी बाजार में कीमतें काबू में रखने के लिए राज्यों को सस्ती दरों पर दालें उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यो ने बफर स्टॉक से दालों की मांग की है। इन राज्य सरकारों ने अपने यहां राशन प्रणाली के मार्फत उपभोक्ताओं को सस्ती दालें बांटने का प्रस्ताव तैयार किया है। इन राज्यों ने साढ़े तीन लाख टन दालों की मांग की है। पासवान ने एक सवाल के जवाब में बताया कि राज्यों को सस्ती दालें देने के प्रस्ताव पर सचिवों की समिति ने विचार कर लिया है। इसके बाद इसे कैबिनेट के विचार के लिए पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पर अगले सप्ताह तक फैसला हो जाएगा। लेकिन इसके लिए कितनी सब्सिडी की जरूरत होगी, इसके बारे में उन्होंने कुछ बोलने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया। दालों की कीमतों पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से सरकार ने बफर स्टॉक का गठन किया है, जिसमें अब तक 18 लाख दालें जमा हो चुकी हैं। राज्यों को दी जाने वाली दालों के अलावा केंद्रीय एजेंसियों, डिफेंस, रेलवे और अन्य सरकारी संस्थानों की कैंटीनों को भी सस्ती दालें मुहैया कराने की योजना है। कुल सात लाख टन पुरानी दालों को बेचने की योजना है ताकि आगामी खरीफ सीजन की खरीद वाली दालों का भंडारण किया जा सके। खुले बाजार में दालें बेचने की योजना है, जिसे नीलामी के मार्फत बेचा जाएगा।
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