-वीरेन्द्र देव गौड़ एवं एम एस चौहान
सागर गिरी आश्रम के श्रद्धालु अब रामकृष्ण प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश जाने की तैयारी कर रहे हैं। तेगबहादुर मार्ग पर विराजमान सागर गिरी आश्रम के आसपास रहने वाले श्रद्धालु आगामी 25 दिसम्बर के दिन माता शाकुम्बरी के दरबार में हाजिरी लगाने की इच्छा पूरी करेंगेे। माता शाकुम्बरी का शक्तिपीठ छुटमलपुर से लगभग 25 किमी के फासले पर है। जबकि सहारनपुर की ओर से आने वाले के लिए यह भव्य शक्तिपीठ लगभग 40 किमी की दूरी पर है। यह पवित्र धर्मयात्रा कड़वापानी स्थित हरिओम आश्रम के महंत अनुपमानंद गिरी महाराज और व्यास शिवोहम बाबा के मार्गदर्शन में सम्पन्न होने जा रही है। माता शाकुम्बरी देवी का दिव्य दरबार हरीभरी शिवालिक पहाड़ियों के ढलान पर विराजमान है। यहाँ पहाड़ियों के बीच से एक छोटी नदी भी निकलती है। माता शाकुम्बरी देवी की शक्तिपीठ से लगभग एक किमी के अन्तर पर माता भूरा देवी विराजमान हैं। माता शाकुम्बरी के दर्शन का लाभ उठाने वाले माता भूरा देवी के दर्शन भी करते हैं। माता भूरा देवी के पास भैरवनाथ बाबा भी विराजमान हैं। कहते हैं कि बाबा भैरवनाथ माता भूरा देवी के अंगरक्षक के रूप में विराजमान हैं। इसीलिए श्रद्धालु, बाबा भैरवनाथ के दर्शन करना अनिवार्य समझते हैं। कुल मिलाकर रामकृष्ण प्रदेश अर्थात् उत्तर प्रदेश की यह शक्तिपीठ देहरादून से लगभग 55 किमी दूर है। माता शाकुम्बरी देवी जनपद हरिद्वार के श्रद्धालुओं के लिए बहुत अधिक पूज्य हैं। रूड़की क्षेत्र के लोग देवी शाकुम्बरी के दर्शन लाभ प्राप्त कर स्वयं को धन्य समझते हैं। बहुत कम ऐसे सनातनी हिन्दू होंगे जो कभी ना कभी माता शाकुम्बरी के दरबार में माथा टेकने ना गए होें। माता शाकुम्बरी के पावन धाम में वर्षभर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। यह दिव्य स्थल बहुत रमणीक है। जो श्रद्धालु यहाँ एक बार दर्शन करने को चला जाए वह बार-बार जाना चाहता है। देहरादून के श्रद्धालु भाग्यशाली हैं कि उनसे मात्र एक डेढ़ घंटे के अन्तर पर माता शाकुम्बरी विराजमान हैं। माता शाकुम्बरी जिसे बुलाती हैं वह अवश्य ही दरबार के लिए प्रस्थान कर देता है। रूड़की क्षेत्र के लोग तो माता शाकुम्बरी का दर्शन कर ऐसा अनुभव करते हैं जैसे वे साक्षात् वैष्णो देवी के दर्शन कर रहे हों। परमपूज्य माता वैष्णों देवी जम्मू कटरा में विराजमान हैं। यह सनातन मान्यता भी प्रचलित है कि माता वैष्णों देवी के जम्मू कटरा में विराजमान होने के पीछे गोरखनाथ की अहम् भूमिका है। बाबा गोरखनाथ चाहते थे कि माता वैष्णो देवी जम्मू कटरा में विराजमान होकर देश के लोगों को अपना आशीर्वाद देती रहें। आप यहाँ पढ़ रहे हैं कि बाबा भैरवनाथ माता शाकुम्बरी देवी के निकट भी विराजमान हैं। बाबा भैरवनाथ बाबा गोरखनाथ के शिष्य थे। माना तो यह भी जाता है कि बाबा गोरखनाथ साक्षात् बाबा शिवशंकर के अवतार थे। बाबा गोरखनाथ नाथ सम्प्रदाय के थे और उनके अंदर अतुलित शक्तियाँ समाहित थीं। वे सैकड़ों वर्ष तक सशरीर विराजमान रहे थे। उनके अंदर वे सभी शक्तियाँ थीं जो बाबा भोलेनाथ के पास मानी जाती थीं। इसीलिए , माता शाकुम्बरी देवी की शक्तिपीठ का अर्थ आसानी से समझा जा सकता है। भाग्यशाली लोगों को ही माता शाकुम्बरी देवी के पुण्य दर्शन लाभ प्राप्त हो पाते हैं। अवसर मिलते ही हमें माता शाकुम्बरी देवी के दरबार में उपस्थित होना ही चाहिए। जय माता शाकुम्बरी देवी। पाठकों को यह भी बता दें कि माता शाकुम्बरी देवी जनपद सहारनपुर के अलावा भारतवर्ष में दो अन्य दिव्य स्थलों में भी विराजमान हैं। कर्नाटक राज्य के जिला बंगलकोट में बादामी नामक दिव्य स्थल पर माता शाकुम्बरी का शक्तिपीठ विराजमान है। राजस्थान में साँभर झील में भी माता शाकुम्बरी का दरबार लगा हुआ है। गोरखपुर में एक भव्य और दिव्य पीठ विराजमान है। जिसके महंत तो स्वयं रामकृष्ण प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी महाराज हैं। बाबा गोरखनाथ के नाम पर ही नगर की स्थापना हुई जिसे हम गोरखपुर के नाम से जानते हैं। इसलिए हमें नाथ समप्रदाय की सनातनी परम्पराओं का भी हृदय से सम्मान करना हैं। हम देख ही रहे हैं कि बाबा गोरखनाथ के आशीर्वाद से योगी जी किस तेजस्विता और पराक्रम का परिचय दे रहे हैं।