अगर आप प्रेग्नेंट हैं और जा रही हैं घूमने के लिए, तो जाने से पहले अपने डॉक्टर की इजाजत जरूर ले लें। वैसे, अधिकतर मामलों में प्रेग्नेंसी के दौरान ट्रैवलिंग सेफ होती है। भले ही आप ट्रैवलिंग कार से कर रहे हों, बस से या फिर ट्रेन से। लेकिन अगर कुछ चीजों को ध्यान मे रखेंगी, तो आप अपने और अपने बच्चे को पूरी तरह सेफ रख पाएंगी। जानिए क्या हैं वे बातें…
– ट्रैवलिंग गर्भवती महिला की डायट और एक्सर्साइज रुटीन को प्रभावित करती है। एक गर्भवती महिला को ट्रैवलिंग के दौरान स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक भोजन, सही तरह से आराम व खूब सारे फ्लूइड्स और लाइट एक्सर्साइज की जरूरत होती है। अगर आप यह सही तरह मैनेज कर लेती हैं, तो आपको ट्रैवलिंग के दौरान अधिक दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
– गर्भवती महिलाओं में सफर के दौरान जी मिचलाना और उल्टी आना आम शिकायत है। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान शरीर में कुछ ऐसे हॉर्मोंस बढ़ जाते हैं, जो जी मिचलाने के लक्षणों से लडऩे की शरीर की क्षमता को कम कर देते हैं।
– प्रेग्नेंसी में शुरुआती तीन महीने और लास्ट के तीन महीने सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान सफर करने से बचना चाहिए। शुरुआती महीनों में मिसकैरेज का खतरा बहुत ज्यादा होता है। पहले तीन महीनों के बाद वॉमटिंग की प्रॉबल्म भी कम हो जाती है। इसके बीच के समय में आप आराम से कहीं भी आ जा सकती हैं। हां, 28वें सप्ताह के बाद घूमना या लंबे समय तक बैठना काफी मुश्किल हो सकता है। अक्सर महिलाओं को थकान की भी शिकायत रहती है।
प्रेग्नेंसी का दूसरा फेज यानी 3 से 6 महीने के बीच का समय सुरक्षा की दृष्टि से सेफ होता हैं। इन महीनों के दौरान आप आसानी से ट्रैवल कर सकती हैं, क्योंकि इन महीनों में मॉर्निंग सिकनेस, थकान, सुस्ती जैसी शिकायतें कम हो जाती हैं।
– लंबा सफर करने से बचें, यदि आप ट्रैवल कर भी रही हैं तो अपने साथ ढेर सारा पानी रखें ताकि यात्रा के दौरान शरीर में पानी की कमी न हो।
– प्रेग्नेंसी के दौरान हवाई यात्रा सुरक्षित नहीं होती, लेकिन अगर किन्हीं कारणों से हवाई यात्रा करनी पड़े तो आपको गर्भावस्था के 14 से 28 सप्ताह के बीच ही यात्रा करनी चाहिए। इससे पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
– कार में बहुत ज्यादा सिकुड़कर न बैठें बल्कि पैर फैलाते हुए इस तरह से बैठें जिससे आप पैर को आसानी से हिला सकें और ऐंठन या अकडऩ होने पर आपको अपना पॉस्चर बदलने में दिक्कत न हो।
ऐसी जगह पर घूमने न जाएं, जहां कोई बीमारी का इंफेक्शन हो।
– कहीं भी जाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
– ट्रैवल पर जाते समय डॉक्टर के निर्देशों का पालन करते हुए सभी दवाइयां, डॉक्टर के पेपर्स और डॉक्टर का नंबर हमेशा अपने साथ रखें जिससे इमरजेंसी में उनका उपयोग कर पाएं।
गाड़ी में यात्रा के दौरान खिड़की खोलकर रखें और सीट बेल्ट को पेट के नीचे बांधे।
– सीट पर पीछे की तरफ कमर ऐसे टिका कर बैठें जिससे कोई दर्द न हो।
सफर पर जाने से पहले वहां के माहौल और मौसम की पूरी जानकारी ले लें और उसी हिसाब से कपड़े लेकर जाएं।
– बहुत ज्यादा फैशन के चक्कर में टाइट कपड़े या फिर हील वाली सैंडल वगैरह का इस्तेमाल न करें।
ट्रैवल के दौरान कोई भी समस्या होने पर अपने मन से कोई दवा न खाएं अपने डॉक्टर या फिर नजदीकी किसी डॉक्टर से जरूर कसंल्ट कर लें।
– अधिकतर समय शांत रहें। खुद को शांत रखने का सबसे कारगर तरीका है सांस को नियंत्रित करना। यानी जितनी देर में सांस लें, उतनी ही देर में छोड़ें। इससे शारीरिक या मानसिक तनाव घट जाएगा। हार्ट बीट और बीपी भी नॉर्मल रहेगा।
– ट्रैवल हेल्थ इंश्योरेंस करवाएं। इंश्योरेंस लेते समय इस बात पर जरूर ध्यान दें कि जहां भी आप जा रही हैं, देश या विदेश में, वहां अगर आपको अचानक लेबर पेन हुआ तो बीमा पॉलिसी में गर्भावस्था या नवजात की देखभाल शामिल है या नहीं।
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