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सरदार पटेल जैसे शाह जी पुलिस प्रशिक्षण में इंसानियत का रंग भर दीजिए

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   पूज्य पुलिस का सैकड़ा
(देश की पुलिस ऐसी इसलिए है)

सर के ऊपर पहुँच गया है
सज्जन अब तो पानी
तारीफ करने को मजबूर कर रही है
पुलिस की शैतानी
पुलिस की इन शैतानियों में है
नेताओं की बराबर की हिस्सेदारी
मंत्रियों की निगरानी में बँटते हैं पुलिस के थाने
इस नीचता के सज्जन तुम समझ सकते हो माने।
चलो सज्जन पुलिस थाने से ही
बात शुरू करते हैं
कानपुर के चौबेपुर थाने की तरह ही
थाने बिका करते हैं
सज्जन, ये केवल चौबेपुर की ही बात नहीं है
अधिकतर थानों की औकात यही है
हमारे देश के ज्यादातर थाने
जुर्म की दुनिया के पनाहगार होते हैं
ऐसे थानों में जुर्म के सारे राज पता होते हैं
जब तक जुर्म छिपा रहता है
तब तक हफ़्ता पहुँचता रहता है
जब जुर्म प्रकाश में आ जाता है
तब छलावे के लिए पुलिस का हंटर चलता है
भोले-भाले समझ बैठते हैं
वाह क्या कमाल किया है
पर, सच में तो यह सब नाटक ही होता है।
दुनिया भर के गैर-कानूनी धंधे
थानों की रजामंदी से फलते-फूलते हैं
कभी-कभार किसी ईमानदार अफसर के कारण
थाने के बेईमानों के हाथ-पाँव फूलते हैं
किन्तु मंत्रियों और नेताओं की मेहरबानी से
उस अफसर को इधर-उधर करके
बेईमान माहौल में ही नौकरी करने का संदेश दिया जाता है
धीरे-धीरे ऐसा अफसर उदासीन हो जाता है
बेईमान पुलिस वालों का दबदबा कायम रह जाता है।
जब पुलिस बिरादरी में
यह सब शटर-पटर हो रहा होता है
तब जनपद प्रशासन को सब पता होता है
लेकिन जनपद-प्रशासन पुलिस से तालमेल में रहता है
इस तरह जमकर रिश्वतखोरी का खेल चौतरफा परवान चढ़ता है
पुलिस डाल-डाल तो जनपद प्रशासन पात-पात है
बस इस गोरखधंधे में पूरी सरकार साथ-साथ है।
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ
छोटे मियाँ शुभान-अल्लाह
यानी स्थानीय निकायों के तमाम कर्मचारी और अधिकारी
जानते समझते हैं इस लूटमार को
धड़ल्ले से कूद-पड़ते है ये भी मैदान में
परवान चढ़ाने को इस लूटमार को
इस हाथ ले और उस हाथ दे का फलता-फूलता है कारोबार
इस भयानक लूट-खसोट के संग्राम में मचा रहता है हाहाकार
किन्तु सज्जन, ये हाहाकार अंडरग्राउंड चलता रहता है
गरीब किसी से कुछ कह नहीं पाता
बस, चुपचाप वह कमरतोड़ मार सहता हैं
ऐसा नहीं कि थानों की लूटगर्दी का
बड़े-बड़े अफसरों को पता नहीं है
कुछ बड़े अफसर साठँगाँठ से मजे करते हैं
जिन्हें यह पसन्द नहीं वे अनजान बने रहते हैं
अगर कोई भ्रष्ट थानों को दुरुस्त करना भी चाहे
तो झट नेताओं और मंत्रियों द्वारा उनके पर कुतर दिए जाते हैं
इस तरह थाने वसूली के अड्डे बने रह जाते हैं।
सज्जन, कारागारों की तो बात ही निराली है
कारागार के अधिकारी तो होते हैं खानदानी दरियादिल
डाकू, बदमाश, लुटेरे और तमाम गिरोहों के सरदार
अगर ये चाहें तो कारागार के अधिकारी रहते हैं इनकी खिदमत को तैयार
बन जाने को इनके ससुर और फर्ज के लिए असुर
नोटों की बौछार में भीगकर मिलाते है इनके सुर से सुर
मौज करते हैं असामाजिक तत्व कारागारों में सजा लगती है इन्हें मधुर-मधुर।
इस तरह कारागारों से दी जाती हैं लूटमार, हत्या और डकैतियाँ अंजाम
कारागार बन जाते हैं इन बदमाशों के मुख्यालय खुलेआम
दरअसल ऐश-ओ-आराम के हैं ये इनके संग्रहालय तमाम
हमारे तो कानून भी हैं ऐसे एक से एक महान
कारागार में रहते हुए सब तरह की करो ऐश
चुनावों को भी कर सकते हो तुम जमकर कैश
इन्हीं दीन-हीन कानूनों का उठाते हैं ये बदमाश लाभ
कारागार के अधिकारी और कर्मचारी मानते हैं इन्हें माई-बाप
करते हैं सुबह शाम इनके कप-प्लेट साफ
गरीब के लिए भारत में है नहीं कुछ भी माफ
मध्य-प्रदेश के गुना में गरीब किसान राजकुमार की भूल को बना दिया पुलिस ने पाप
पूरे भारत ने देखा जनपद प्रशासन और पुलिस का दिया गया जुल्मी इन्साफ।
गली-कूचे के मामूली गुंडे
कभी पुलिस की लापरवाही तो कभी फर्ज से गद्दारी के चलते
बन जाते हैं दुर्दान्त अपराधी और शैतान
बाद में पुलिस के लिए कमाई का जरिया बन जाते हैं ये बदनाम
पुलिस की सुख-सुविधा और ऐश-ओ-आराम जुटाने का करते है काम
ये एक दूसरे के लिए बन जाते है पवित्र चारोंधाम
बैठकर भ्रष्ट पुलिस के साथ टकराते हैं ये जाम से जाम।
मंत्री और नेता हमारे ज्यादातर होते हैं इनके बॉस
इन गुंडों-मवालियों के संग रहते हैं मदहोश
इन कथित जनप्रतिनिधियों में देश सेवा का नहीं होता कोई जोश
जीवन की रंगीनियों के पीछे भागते हैं बनकर खरगोश
बस खुद के कल्याण का होता है इनमें होश
भाड़ में जाए समाज और देश ईमानदारों पर मढ़ देते हैं ये सारा दोष।
बड़े-बड़े अखबार और टीवी-न्यूज चैनल
पत्रकारों के बड़े-बड़े दल-ब-दल
भ्रष्टाचार की जड़ों पर नहीं करते कभी प्रहार
बल्कि नेताओं, अफसरों और मंत्रियों से बढ़ाते हैं प्यार
ताकि विज्ञापन हथियाए जा सकें बेशुमार
चाहे देश में आ जाए भुखमरी और अकाल
मजे से रहते हैं अधिकतर भ्रष्ट पत्रकार हर हाल।
पत्रकार तो बन कर रह गए हैं केवल पोस्टमैन
ऐश कर रहे हैं भ्रष्ट माहौल में एसएचओ विनय तिवारी और शहीद होते हैं मिश्रा जी जैसे पुलिसमैन
महाराज गृहमंत्री जी अमित शाह कुछ करो इस मोर्चे पर ताकि देश में आए अमन-चैन।
                                              -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।


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