हल्द्वानी (संवाददाता)। कुमाऊं की सबसे बड़ी और संवदेनशील जेलों में है हल्द्वानी जेल। इस जेल में नैनीताल के साथ ही ऊधमसिंह नगर जिले के कैदियों को भी रखा जाता है। केवल 300 की क्षमता वाली इस जेल में हमेशा 800 से 1050 तक बंदी रहते हैं। इसके बावजूद जेल की सुरक्षा को लेकर न तो सरकार गंभीर है और न ही कारागार महकमे के अफसर। हालात यह हैं कि इतनी संवेदनशील जेल में मात्र तीन थ्री नॉट थ्री राइफल के सहारे सुरक्षा व्यवस्था को संभाला जा रहा है। उत्तर प्रदेश की बागपत जेल में हुई घटना के बाद एक बार फिर से हल्द्वानी जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। हल्द्वानी उप कारागार में क्षमता से अधिक बंदियों को रखने का मामला हाई कोर्ट तक पहुंच चुका है। कुछ समय पहले तक इस जेल में 260 बंदियों को रखने की क्षमता थी। हाईकोर्ट की गंभीरता के बाद जेल में दोमंजिला भवनों का निर्माण किया जा रहा है। एक भवन दोमंजिला बनने के बाद इसकी क्षमता 300 बंदियों तक पहुंच चुकी है। इसके बावजूद यहां तीन से चार गुना तक बंदी रखे जा रहे हैं। जेल प्रशासन के सूत्र बताते हैं कि जेल में यदि कोई अप्रिय घटना होती है तो उससे निपटने के लिए मात्र तीन थ्री नॉट थ्री बंदूकें हैं। ये भी कितने दशक पहले खरीदी गईं, जेल प्रशासन खुद इससे अनभिज्ञ है। ऐसे में यदि अत्याधुनिक हथियारों को चलाने वाले बदमाश किसी वारदात को अंजाम देने आए तो जेल प्रशासन खुद अपना बचाव करने में भी लाचार नजर आएगा। चार साल पहले हरिद्वार जेल में कुख्यात बदमाश सुनील राठी और चीनू पंडित गिरोह के बीच मुठभेड़ के बाद शासन-प्रशासन जेलों की सुरक्षा की ओर चेता था। उस समय जेल पुलिस चौकी खोलने पर मंथन हुआ। हल्द्वानी उप कारागार प्रशासन की ओर से भी प्रस्ताव बनाकर पुलिस महकमे को भेजा गया था। कुछ समय बाद ही ये गंभीरता हवाई साबित हो गई। अब तक जेल में चौकी का निर्माण नहीं हो पाया है। हालात यह हैं कि हर व्यक्ति जेल के मुख्य गेट तक बिना रोकटोक के ही पहुंच जाता है। संवेदनशील जेल होने के बावजूद हल्द्वानी उप कारागार में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि जेल में मात्र एक सीसीटीवी कैमरा वर्ष 2004 में लगाया गया था। इस कैमरे की गुणवत्ता इतनी निम्न है कि अफसर इसमें देखकर खुद को तक नहीं पहचान सकते हैं। इसके अलावा जेलों से मोबाइल फोन चलाने के लगातार मामले उजागर होने पर भी जैमर नहीं लगाए जा रहे हैं। वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने बताया कि जेल में 60 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं। इसके लिए लोनिवि के विद्युत यांत्रिक शाखा को जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने जल्द जेल मे कैमरे लगने की उम्मीद जताई है। हल्द्वानी उप कारागार में कैदियों के हिसाब से बंदी रक्षकों की तैनाती भी नहीं है। रिकॉर्ड के मुताबिक जेल में बंदी रक्षकों के मात्र 40 पद स्वीकृत हैं। इसी तरह अल्मोड़ा जेल की क्षमता 102 बंदी और नैनीताल जेल की 71 बंदी रखने की है। वहां भी 40 पद सृजित हैं। ऐसे में एक हजार बंदियों की सुरक्षा मात्र 40 बंदी रक्षक कैसे करेंगे, इस पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। जेल सूत्र बताते हैं कि तीन शिफ्टों में बांटने और जवानों के अवकाश पर रहने पर पूरी जेल में एक समय में मात्र 10 बंदी रक्षक तक भी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाते हैं। बागपत जेल में कुख्यात बदमाश मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या की घटना के बाद उत्तराखंड की सभी जेलों में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। आइजी जेल डॉ. पीवीके प्रसाद ने सभी जेल अफसरों को पत्र लिखकर विशेष एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। वहीं, वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने बताया कि बागपत में हुई घटना के मद्देनजर हल्द्वानी व नैनीताल जेल की बैरकों से लेकर रसोई घर तक सघन चेकिंग कराई गई है। इसके अलावा बंदियों की परेड कराकर पूछताछ की गई। हालांकि वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने चेकिंग के दौरान कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिलने की जानकारी दी है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने बताया कि जेल में क्षमता से अधिक बंदी होने पर कुछ बंदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। 150 बंदियों को दूसरी जेल में शिफ्ट करने के लिए आइजी कारागार से पत्राचार किया गया है। आइजी की ओर से स्वीकृति मिलते ही बंदियों को सितारगंज स्थित केंद्रीय कारागार में शिफ्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।
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