सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
बन्धुओ मुजफ्फरनगर के पास
एक रामपुर तिराहा खास
जहाँ 1994 में मुलायम सरकार ने
मानवता को लगाई थी फाँस।
आन्दोलनकारी मासूम मातृशक्ति का बन्धुओ
हुआ था यहाँ घिनौना बलात्कार कांड
आधीरात के इस बलात्कार कांड का
सरगना था बन्धुओ मुलायम सिंह समाजवादी प्रकांड।
यह वही समाजवादी है बन्धुओ
जिसे कुछ साल बाद
दिया गया था पुरस्कार
बनाया गया देश का रक्षामंत्री
बताया गया देश का नायाब सन्तरी।
यह वही समाजवादी है बन्धुओ
जिनके सुपुत्र समाजवादी ने
पाँच साल चलाई राम-कृष्ण प्रदेश की सरकार
जिनका सूपड़ा साफ कर
जा विराजे योगी आदित्यनाथ प्रतापी कर्णधार।
1994 में शांति से दिल्ली जा रहे
राज्य-आन्दोलनकारियों पर
मुलायम सिंह सरकार का चंगेजी-प्रहार
आधीरात का वह गगनभेदी हाहाकार
बापू के जन्म दिन की पावन बेला पर
मुलायम के समाजवाद के कोढ़ी कदमों में
बेदम पड़ा था लोकतंत्र थक-हार।
ऐ देश आखिर तेरी मंशा क्या है
कैसे भूल जाता है तू ऐसे बड़े-बडे़ षड़यंत्र और कांड
क्यों बन जाती है तेरी न्याय-व्यवस्था
लुंजपुंज नकारा और भांड।
ऐ राम-कृष्ण प्रदेश
ओ बदरी-केदार प्रदेश
आन्दोलनकारी नारियों की गरिमा को
बूटों तले रोंदने वाले
समाजवादी शैतान दिल के काले
फाँसी के फंदे पूछ रहे हैं
कहाँ जा छिपे वे नौजवान आन्दोलनकारी मतवाले।
आन्दोलनकारियों की आत्मा मर गई
आन्दोलनकारियों की नीयत बिक गई
नौकरियों और मुआवजों के वजन से तनी रीढ़ झुक गई
बलात्कार प्रायोजित कराने वालों की सत्ता जीत गई
पहाड़ के स्वाभिमान की साख लुट गई।
अरे!
है कोई माई का लाल वकील
भारत की धरती पर
जिसके सीने में
न्याय की आग सुलग रही
दिमाग में इन्सानियत की लौ जल रही
नारी की इज्जत की बोली लग रही
रामपुर तिराहे की कहानी यही सब कह रही।
-इति