पालघर इलाके के आदिवासियों को उकसाने वाले देशद्रोही कौन?
गब्बर की बात गाँठ बाँध ले रे साँम्बा
रामगढ़ जाओ, पालघर जाओ या पांडवगढ़ जाओ
मास्क लगाओ और दो गज दूरी बना के रखो
घोड़ों को भी मास्क लगाना मत भूलना
बीरू हो, जय हो या वो नचनिया बसन्ती हो
सबको बचाना है रे साँम्बा
रामगढ़ आबाद रहेगा रे तो डकैती करेंगे न
वो पुलिस वाला ठाकुर तो कोरोना वरियर बन गया रे
सुना है लोग उसकी आरती उतार रहे हैं आजकल
पालघर में दो साधुओं और उनके सारथी को कूट दिए लोग
पुलिस वाले एक पत्रकार से साढ़े बारह घंटे पूछताछ किए रहे
अरे वो पत्रकार है या दाउद का गुर्गा
ज़रूर हमसे बड़ा डाकू होगा वो
नहीं सरदार, ऐसी कोई बात नहीं
तो क्या बात है रे साँम्बा
सरदार! शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी की तिकड़ी
अरे ओ साँम्बा ये तिकड़ी है या खिचड़ी रे
इस खिचड़ी में कभी नमक तेज हो जाता है तो कभी मिर्च
सरदार! धर्म परिवर्तन का पचड़ा बता रहे हैं लोग
हिन्दुओं को फाँस कर ईसाई बनाने का लफड़ा—
अब तो गढ़चिंचली की प्रधान चित्रा को जान से मारने की धमकी—
अरे ओ साँम्बा जमाना बदल रहा है रे
चल हम भी धरम बदल लेते हैं डकैती से थक चुका हूँ रे
मिशनरी वाले खर्चा-पानी तो दे ही देंगे
जय और वीरू से पिंड भी छूट जाएगा रे
अरे ओ कालिया तू सुना रे पांडवगढ़ के हाल
सरदार! मैंने तो केवल रामगढ़ का नमक खाया है
अबे मुच्छड़ जो बन्दूक तू थामे रहा वो पांडवगढ से खरीदे रहे हम
सरदार! वहाँ तो पांडवगढ के इकलौते बेटे का राज है
उसके पास कितने हुसैन और खान हैं रे
सरदार! इमरान हुसैन, तारिक हुसैन, अमानुतुल्लाह खान और—-
ई ससुर इमरान हुसैन लॉकडाउन की धज्जियाँ उड़ाए रहा
तारिक हुसैन पांडवगढ़ में जिहाद फैलाए रहा
अमानुतुल्लाह, पांडवगढ़ में दंगे भड़काए रहा
ये पांडवगढ़ के बेटे के पास कैसे-कैसे फसादी जमा हो गए हैं रे
अरे ओ साम्बा पुलिस हमको डराती है और इनसे डरती है
अरे ये तो देशद्रोह कर रहे हैं रे
अमानुतुल्लाह बोले रहा-हमने आठ सौ बरस राज किया हिन्दुस्तान पर
हम किसी को नहीं मानेंगे किसी की नहीं सुनेंगे
इसी के इलाके में शाहीन बाग हुआ रे
देश का सुप्रीम कोर्ट कुछ न कर सका रे
केन्द्र सरकार चुप बैठी रही रे
ये तो बहुत ना-इन्साफी है रे साँम्बा
पांडवगढ़ का इकलौता बेटा चुनाव जीतने की हवस में चुप्पी साधे रहा
ये मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाला सरदार है रे
पांडवगढ़ के गोदामो को लूटना पड़ेगा रे
साम्बा बोला-सरदार हम कौन हैं?
अबे हम डाकू हैं रे डाकू
हमारा कोई मजहब नहीं
हमारे लिए हर पुलिस वाला ठाकुर है
हाँ इतना ज़रूर है रे साँम्बा
हम लालच में फँसा कर धरम बदली के खिलाफ हैं रे
हम देश में चल रहे जिहाद के भी खिलाफ हैं रे
ऐसा करेने वाले लोग हमसे बड़े डाकू हैं
हम तो केवल रामगढ के दुश्मन हैं
ये तो पूरे भारत के दुश्मन हैं रे कालिया।
धन्यवाद। सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून