हरिद्वार में फिर रौनक बढ़ गई है। भोले के भक्तों की बम-बम भोले की गर्जना गंगा के किनारे सुनाई देने लगी है। उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से से शिवभक्त काँवड़िए हरिद्वार में जुटने लगे है। बम-बम भोले के जयकारे से गंगा के तट गूँजने लगे है। कावड़ियों का यह चलता-फिरता मेला इन्द्रधनुष की छटा बिखेरने लगा है। हरिद्वार नगरी चहकने लगी है। सरसराती गंगा महकने लगी है। भारतीय शास्त्र परम्परा में यह माना जाता है कि भगवान शिव ही माँ गंगा की तेज धारा को धरती पर लाए। उन्होंने ही गंगा की प्रचंडता को सँभाला। माँ गंगा का भगवान शिव से गहरा नाता है। इसीलिए, शिव भक्त काँवडिए पवित्र गंगा जल को धारण कर शिवालयों में जाकर इस जल से शिव का जलाभिषेक करते है। चलते-फिरते काँवड़ियों के इस मेले में एक से बढ़कर एक काँवड़ देखने को मिल रहे है। शिवभक्त मन और जतन से काँवड़ तैयार करते है। इन लुभावने काँवड़ों को काँवड़िए कंधे पर रखकर पैदल ही निकल पड़ते हैं। कई शिवभक्त ऐसे भी होते है जो नंगे पैर चलते हैं और अपने पैरों में घुंघरू बाँध लेते है। इस धार्मिक यात्रा में ये शिव भक्त धार्मिक भावना से ओत-प्रोत रहते हैं। यह चलता-फिरता काँवड़ मेला सड़कों की चहल-पहल को बढ़ा देता है। यह परम्परा शिव भक्ति की अनुपम मिसाल है।