देखो गौर से जलती आग को
देखो आग की तुम खौलती झाग को
खामी विवेकानन्द और स्वामी दयानन्द के पहनावे को
देखो सन्तों-संन्यासियों के चोलों को
गौर से देखो फिर बताओ उस रंग को
जानो-समझो इस पवित्र रंग के ढंग को
जन्मे तो हो भारत की धरा पर
लेकिन गरजते-बरसते हो नासमझी की त्वरा पर
बता दें तुम्हे आज गेरुए की गाथा महान
त्याग-तपस्या करुणा धर्म और बलिदान
आचरण की शुद्धता का यह रंग विधान
गेरुए रंग में ही भारत की जान
जिन्हे चिढ़ है इस पावन गेरुए रंग से
उन्हे समझ लेना चाहिए अब ढंग से
गेरुए से तिरंगा है
तिरंगे से गेरुआ नहीं
महान तिरंगे की उम्र अभी जवान है
लेकिन गेरुआ रंग हजारों सालों से भारत की पहचान है
छोड़ दीजिये देश अगर गेरुए पर ऐतराज है
गेरुए रंग पर टिका भारत का भूत भविष्य और आज है।
VIRENDRA DEV GAUR
CHIEF EDITOR