देहरादून ( संवाददाता ) । किसानों को गुणवत्तायुक्त बीजों की पौध उपलब्धता सुनिश्चित कराने को उत्तराखंड में जल्द ही नर्सरी एक्ट बनेगा। नर्सरी संचालक अगर काश्तकारों को खराब पौधे उपलब्ध कराएंगे तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। यह देबात कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने कही। उन्होंने कहा कि नर्सरी के साथ आर्गेनिक एक्ट का मसौदा भी तैयार कर लिया है। आगामी सत्र में दोनों एक्ट के मसौदे को सदन में रखा जाएगा। हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में इंट्रोडक्शन ऑफ इंटरनेशनल द आर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलेपमेंट (ओईसीडी) सीड सर्टिफिकेशन में कृषि मंत्री ने कृषि के क्षेत्र में शोध करने वाले उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार और गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर को नसीहत भी दी। कहा कि शोध सिर्फ अपनी उपलब्धियों के लिए ही न किया जाए, बल्कि इनका लाभ किसानों को मिले। ऐसा लगता है कि भरसार विश्वविद्यालय पोलियो से ग्रस्त है और पंतनगर विश्वविद्यालय में भी अपनी गरिमा के अनुरूप कार्य नहीं हो रहा। कृषि निदेशक गौरी शंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बीज प्रमाणीकरण प्रणाली विकसित करने के लिए ओईसीडी सीड् स्कीम 1958 में शुरू हुई थी, जिसका मुख्यालय पेरिस में है। वर्तमान में इस ओईसीडी में भारत समेत 59 देश हैं। देश में पांच राज्यों तेलंगाना, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र को प्राधिकरण नामित किया है। उत्तराखंड स्टेट सीड् एंड आर्गेनिक प्रोडक्शन सर्टिफिकेशन एजेंसी के अंतर्गत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल, जम्म-कश्मीर राज्य भी आते हैं। काबीना मंत्री ने कहा कि चलिटी गारंटी सीड् (बीज) को बढ़ावा देने के लिए सीड्स कलस्टर बनाने की जरूरत है। ओईसीडी के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। सहायक आयुक्त बीज (भारत सरकार) डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया कि ओईसीडी के तहत किस तरह से कार्य करना है। साथ ही कहा कि केंद्र सरकार ने 2020 तक बीज निर्यात 10 फीसद करने का लक्ष्य रखा है, जो अभी तक एक फीसद है। कार्यक्रम में बीज प्रमाणीकरण तेलंगाना के निदेशक डॉ. के केशावालू, बीज प्रमाणीकरण हिमाचल के निदेशक डॉ. एनके गुप्ता, गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के निदेशक शोध पीएस शुक्ला, डॉ. एससी सगटा, डॉ. विनय कुमार आदि मौजूद रहे।