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उत्तर कोरिया ने किया एक और हाइड्रोजन बम का टेस्ट

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सोल। उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम पर पूरी दुनिया की नजरें हैं। हाल में उसने अपना छठा एटमी टेस्ट किया, जिसे परमाणु बम से कई गुना ज्यादा ताकतवर हाइड्रोजन बम का टेस्ट माना जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि उसने इतनी क्षमता हासिल कर ली है कि एक अमेरिकी शहर को तबाह कर सके। रपटें आईं कि 4 जुलाई को अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस पर उसने इंटर कॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल का भी टेस्ट किया। यह मिसाइल अमेरिकी क्षेत्र तक पहुंचने की क्षमता रखती है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उत्तर कोरिया किन वजहों से अमेरिका को चुनौती दे रहा है। उत्तर कोरिया की दुश्मनी दक्षिण कोरिया और उसे ताकत दे रहे अमेरिका से है। 1950 में उत्तर कोरिया का दक्षिण कोरिया से टकराव शुरू हुआ और 60 के दशक से उसने एटमी ताकत हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी थी। उसने 2006 में पहला सफल एटमी टेस्ट भी कर लिया। अमेरिकी सरकार कहती रही कि वह उत्तर कोरिया को इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल नहीं विकसित करने देगी। वह आर्थिक प्रतिबंध लगाती रही, लेकिन इसका उत्तर कोरिया पर खास असर नहीं पड़ा है। आज उत्तर कोरिया के करीबी देशों को भी यह पता नहीं है कि उसके पास कितने परमाणु हथियार हैं। उत्तर कोरिया अकेले दक्षिण कोरिया और उसके सहयोगियों अमेरिका और जापान को धमकी देता रहा है। उत्तर कोरिया के भारी सैन्य खर्च के मद्देनजर अमेरिका ने भी इलाके में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी। सवाल उठता रहा है कि आखिर उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों के लिए इतना बेचैन क्यों है। इसकी पहली वजह है उसका मौजूदा निजाम, जिसे लगता है कि उसके बने रहने के लिए एटमी हथियार जरूरी हैं। उत्तर कोरिया के मौजूदा शासक किम जोंग उन को लगता है कि बिना परमाणु हथियार के उसका हाल इराक के शासक रहे सद्दाम हुसैन या लीबिया के शासक रहे मुअम्मर गद्दाफी की तरह कर दिया जाएगा। दूसरी वजह यह है कि वह इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल की ताकत के जरिए अमेरिका को कोरियाई इलाके से दूर रखना चाहता है। वह चाहता है कि अगर कभी उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के विलय पर बातचीत हो तो उसकी शर्तों पर हो। उत्तर कोरिया के बिगडऩे के पीछे अमेरिका की नीतिगत खामियों का भी मुद्दा उठाया जाता है। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के समय कहा था कि वह राष्ट्रपति बनने पर किम जोंग से बातचीत को तैयार रहेंगे मगर राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने बातचीत का प्रस्ताव नहीं भेजा। अप्रैल में ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग से अनुरोध किया था कि वह उत्तर कोरिया को मनाएं कि वह और टेस्ट ना करे। चीन ने हाल में सार्वजनिक तौर पर चेताया भी है, लेकिन चीन के इरादों पर सवाल उठ रहे हैं।          ( साभार )


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