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कश्मीरी पंडित के बिना कश्मीर नहीं

कश्मीर के बिना भारत नहीं
वीरेन्द्र देव, पत्रकार, देहरादून
कश्मीर में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद जिहादी आतंकी कश्मीर के अल्पसंख्यकों को चुन-चुन कर मार रहे हैं। कश्मीर अल्पसंख्यकों के पक्ष में न तो मानवाधिकारवादी संगठन आगे आ रहे हैं और ना ही अदालतें इस बेरोकटोक जारी नरसंहार को लेकर चिन्तित दिखाई दे रहे हैं। धारा – 370 को हटाना देश के संविधान को बचाने के बराबर था। धारा-370 जिहाद को बढ़ावा दे रही थी। भारत शरियत और जिहाद से नहीं चलेगा। भारत मौजूदा संविधान से ही चलेगा। अगर ऐसा ही चलता रहा तो भारत में हिन्दू राष्ट्र की माँग जोर पकड़ेगी। भारत में हिन्दुओं पर चौतरफा हमले हो रहे हैं। कहीं बहुसंख्यक के नाम पर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है तो कहीं अल्पसंख्यक होने पर उसे कहर का सामना करना पड़ रहा है। हर हाल में हिन्दू ही सताया जा रहा है। तभी तो लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि क्या संविधान में कुछ गड़बड़ है। कश्मीर में पंडितों की हत्या पर लगाम नहीं लग रही। जिहादी आतंकी तो मौत के हकदार हैं किन्तु कश्मीरी पंडित का क्या दोष है। पड़ोसी देश जिहादिस्तान से चलाया जा रहा जिहादी आतंक भारत के जिहादी मानसिकता के मुसलमानों के लिए खुराक है। इस खुराक को जड़ से समाप्त करना होगा। ऐसा करने के लिए भारत को जिहादिस्तान के साथ वही करना चाहिए जो रूस यूक्रेन के साथ कर रहा है। अन्यथा, मरवाते रहिए कश्मीर के अल्पसंख्यकों को जिहादी आतंकियों के हाथों। एक-एक हिन्दू की जान बेशकीमती है। मूल रूप से यह राष्ट्र हिन्दू का है। क्योंकि यह राष्ट्र 1400 साल पहले दुनिया में अपनी महानता के झण्डे गाड़ चुका है। यहाँ की गंगा भी हिन्दू की है और जमुना भी हिन्दू की है। जिहादी आतंकियों का नेटवर्क पूरे संसार में फैला हुआ है। कथा वाचक देवकी नन्दन ठाकुर को दुबई से जिहादियों की धमकियाँ आ रही हैं। उन्हें धमकाया जा रहा है कि वे अपने धर्म का प्रचार करना छोड़ दें। अन्यथा, नतीजे भयानक होंगे। यही है जिहाद। जिहादी पूरे संसार में फैले हुए हैं। जिहाद एक महामारी है जो 1400 सालों से पृथ्वी पर जारी है। इस सच को झुठलाने से किसी का लाभ नहीं होगा। भारत की सरकार को जिहादी और जिहादी आतंक के साथ-साथ आतंक में फर्क समझना पड़ेगा। इस फर्क को लोगों को समझाना पड़ेगा। जिहाद और जिहादी आतंक के मुकाबले के लिए खास कानून बनाने होंगे। अन्यथा, देश का भविष्य खतरे में जानिए। विकास करने का भी कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि जिहाद और जिहादी आतंक हर विकास का विनाश कर देगा। कल एक नौजवान कश्मीरी पंडित राहुल भट की हत्या दिल दहला देने वाली है। भारत सरकार को बड़ा और निर्णायक कदम उठाना पड़ेगा। कश्मीर में पंचायती राज कायम कर देने से जिहाद और जिहादी आतंक का सफाया नहीं होगा। इसके खिलाफ निर्णायक युद्ध छेड़ना पड़ेगा।


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