हाई कोर्ट की फटकार गैर कानूनी
साभार-नेशनल वार्ता ब्यूरो
मुम्बई हाई कोर्ट ने उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे की कहावत लागू करते हुए उद्धव सरकार और उद्धव की पुलिस को फटकार लगाने की वजाय पीड़िता नवनीत राणा को फटकार लगायी और हाई कोर्ट का स्तर गिराया। इस फैसले की जितनी भर्त्सना की जाए वह कम ही होगी। भले ही यह फैसला अभी अधूरा हो फिर भी हाई कोर्ट को नवनीत राणा को फटकार लगाने का अधिकार था ही नहीं। उल्टा शिवसेना ने राणा दंपत्ति को आठ घंटे उनके घर पर बंधक बनाकर रखा। राणा परिवार के मानवाधिकारों को कुचला। एक ऐसी नारी जो सांसद भी है उसे प्रताड़ित किया। इतना हो जाने के बाद तो मोदी सरकार को उद्धव सरकार को गिरा देना चाहिए। इस सरकार को गद्दी पर रहने का कोई अधिकार नहीं। जिस सरकार के दो कैबिनेट मंत्री जेल में हों और जिन पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं। ऐसी राज्य सरकार नैतिकता की बात किस मुँह से कर सकती है। पूरा भारत चुपचाप तमाशा देख रहा है। उधर जहाँगीरपुरी में नाजायज गतिविधियों के खिलाफ जायज कार्रवाई की गयी तो सुप्रीम कोर्ट ने अड़ंगा लगा दिया। ये सब भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। कम से कम न्याय व्यवस्था को अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग के ढर्रे पर चलने का अधिकार नहीं है। न्याय व्यवस्था को तलवार की ढाल पर चलना पड़ता है और उनके लिए सब बराबर होते हैं। भारत कोई मुस्लिम राष्ट्र नहीं है जो शरियत पर चलेगा। उद्धव सरकार ने यही रवैया अर्नब गोस्वामी के खिलाफ अपनाया था और उसे तलोजा जेल पहुँचाया था। अर्नब गोस्वामी तो डर गया लेकिन रवि राणा और नवनीत राणा डरने वाले लोग नहीं है। इन दोनों ने कोई भी गलत काम नहीं किया है। अभी तक कोर्ट की ओर से जितनी भी कार्रवाई की गई है वह सब नाजायज है। ताज्जुब की बात है कि देश का मानवाधिकार और महिला आयोग चादर तानकर सो रहे हैं। इनके खर्राटों की आवाज न्याय के रास्ते पर चलने वाले लोगों के कानों में चुभ रही है। सुप्रीम कोर्ट क्या करता है क्या नहीं करता यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन महाराष्ट्र भी पश्चिम बंगाल और केरल के रास्ते पर चल रहा है जहाँ हिन्दुओं को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और जिहादी ताकतों को खुराक परोसी जा रही है। पंजाब में भी कुछ ऐसे ही नजारे भविष्य में सामने आने वाले हैं। जिन लोगों ने झाडू कंधे पर लेकर घूमने वालों को जिताया है वे राष्ट्रवादी शक्तियाँ नहीं हैं। जिन शक्तियों ने वहाँ सरकार बनाई है उनके मनसूबे बेहद खतरनाक हैं। भारत में राष्ट्रवादियों को पग-पग पर सतर्क रहना होगा और आने वाले समय में शाहीन बाग काण्डों के स्वागत के लिए तैयार रहना होगा। -वीरेन्द्र देव गौड, पत्रकार, देहरादून।