अर्नब गोस्वामी से धुआँधार तानाशाही भरी पूछताछ
बीती रात नौ बजे तक की करें बात
तो करीब बारह घंटे चली मैराथन पूछताछ
मुंबई पुलिस की ऐसी हैरतअंगेज कर्मठता
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होने लायक है योग्यता
अगर ऐसी कर्मठता इस पुलिस ने सत्तर ओर अस्सी के दशकों में दिखाई होती
दाउद जैसे देशद्रोही अंडरवर्ल्ड डॉन मुंबई में न पनपे होते
1990 के सीरियल बम धमाके न हुए होते
तमाम नागरिक मरे न होते और देश की सम्पत्ति नष्ट न हुई होती
दाउद जेहादिस्तान भागकर न जा छिपता
हमारे देश के लिए सरदर्द न बनता
सत्तर और अस्सी के दशकों में ऐसे डौनों की मुंबई में तूती न बोलती
दुनिया भर में देश की छवि पर बट्टा न लगता
ऐ देश के सबसे पुराने दलदल
तेरी छत्रछाया इतनी ही पाक होती
तो पालघर में जूना अखाड़ा के दो साधुओं की निर्मम हत्या न होती
इन साधुओं का अभागा सारथी बर्बरता का शिकार न होता
अपने दो मासूम बच्चों को चौराहे पर न छोड़ जाता
ऐ दलदल तेरे मुँह से सेकुलरिज्म और देशहित की बातें अच्छी नहीं लगतीं
तेरे करीब साठ साल के प्रत्यक्ष और परोक्ष शासन में
राज्यों पर करीब सौ मर्तबा राष्ट्रपति शासन थोपा गया
लोकतंत्र और फैडरलिज्म की आत्मा को रौंदा-कुचला गया
तूने सन् बहत्तर में अपनी केन्द्र की सत्ता को बचाने के लिए
देश में आपातकाल का दमन-चक्र चलाया था
लोकतंत्र का करीब दो साल तक जनाजा निकाला था
अब तू कुर्सी के लोभी आदमी के कन्धे पर होकर सवार
महाराष्ट्र की सत्ता का बनकर सरदार
पालघर-इलाके में धर्मान्तरण के गैर-कानूनी धंधे पर डालने को पर्दा
अर्नब गोस्वामी की आक्रामक पत्रकारिता पर कसने के लिए फंदा
उसके मानवाधिकारों की उड़ा रहे हो धज्जियाँ
पत्रकारिता का घोंट रहे हो निर्लज्जता से गला
तुझे लगता है इस दादागिरी से होगा तेरा भला
तेरी ऐसी हरकतों से ही देश के अवार्ड-वापसी गैंग को जोश आता है
देश के टुकड़े-टुकड़े गैंग का दुस्साहस बुलंद होता है
तू इस पत्रकार को घेरने की ताक और फिराक में बैठा था
इस पत्रकार के हमलावरों की जन्म कुंडली कब खंगालोगे
एक शरीफ नागरिक और पत्रकार के मानवाधिकारों को यों जूते मारोगे
पुलिस की ताकत का खौफ दिखाकर पत्रकारों की गर्दन मरोड़ोगे
इस अराजक शैतानी की सजा तुम जरूर भुगतोगे।
धन्यवाद। सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून