हे मोहन भागवत तूने
श्री राम के धनुष उदंड की खींच दी प्रत्यंचा
श्री कृष्ण के शंख पॅाचजन्य के शंखनाद की दोहरा दी मंशा
हिंदुत्व सनातन परहित चिंतन का वेद वाक्य समझाया
भारत की माटी-पानी का जीवन दर्शन बताया
इस उदारता में अखंड समर्पण का राग तूने गाया
ऐसी सत्यनिष्ठ कट्टरता पर हिन्दू दर्शन का है साया
भारत माता की इसी छाँव में रचे गए वेद-उपनिषद
भारत माता के इसी वात्सल्य में पनपे योग-आयुर्वेद
भारत माता की गोद में अकबर जैसा खूँखार
बन गया था सर्वधर्म समभाव वाला
अकबर का महान कवि अब्दुर रहीम खाने-खाना
नौ रत्नों में से एक था श्री कृष्ण का भक्त दीवाना
दान देते समय नहीं देखता था पाने वाले का चेहरा कभी
गोस्वामी तुलसीदास ने अब्दुर रहीम को सराहा
उसकी कृष्ण भक्ति और उसकी रहमदिली को महान पाया
यही हेै हिन्दू सनातन धर्म की कट्टरता
यही था सर्व-धर्म समभाव का समर्पण
किंतु यह सब संभव नहीं भारत माता के चरणों में झुके बिना
ईमानदारी में कट्टरता भी अधूरी है इसके बिना
सबके मान-सम्मान की कट्टरता हिन्दुत्व है
किन्तु भारत माता की जय के बिना अधूरा यह हिन्दुत्व है।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)