-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री मामा को अपने जन्म दिन पर यादगार उपहार भेंट किया। मामा का मन बच्चों की तरह उछलने लगा। मोदी जी के मँगाए चीते नामीबिया से आकर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में धमाल मचाएंगे। प्रधानमंत्री ने आज अपने जन्म दिवस पर चीता प्रोजेक्ट का उद्घाटन कर दिया है। इस चीता प्रोजेक्ट के पहले बैच के आठ सदस्य अफरीका महाद्वीप नामीबिया नामक देश से लाए गए हैं। इनमें पाँच मादा और तीन नर है। नामीबिया से पाँच साल का अनुबंध किया गया है। मध्य प्रदेश का कूनो पार्क कई तरह के जंगली जानवरों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें जंगली सूअर, नील गाय, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घे और तेंदुए सहित तरह-तरह के भालू शामिल है। इन नए सदस्यों की खुराक के लिए पार्क में चीतल छोड़े गए हैं। चीतल को चीते का प्रिय भोजन माना जाता है। इस पार्क में लंगूरों की संख्या बहुत अधिक है। चीते लंगूरों को भी खा जाते है। 1952 में भारत से चीते विलुप्त हो गए थे। मोदी जी चाहते हैं कि चीतों को पुनर्जीवित किया जाए और इनकी संख्या बढ़ाई जाए ताकि भोजन श्रृंखला को फिर से बहाल किया जा सके। अगर चीते बढ़े तो यह पर्यटकों के लिए भी कौतूहल का विषय होगा और मध्य प्रदेश में जंगल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बहुत उत्साहित है। उन्हें लगता है कि बाघ प्रोजेक्ट और गुलदार प्रोजेक्ट के बाद अब चीता प्रोजेक्ट का मध्य प्रदेश में शुरू होना उनके लिए बहुत खुशी की बात है। प्रधानमंत्री ने अपने जन्म दिन के अवसर पर देश को एक शानदार उपहार दिया है। यह उपहार लोगों की जागृति को बढ़ाएगा। पर्यावरण के लिए जंगली पशुओं का संतुलन रहना भी जरूरी है। चीता इस संतुलन को बनाने में मददगार सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि चीतों को तस्करों की मार से बचाना बहुत जरूरी है। इसके लिए सरकार को जागरण अभियान चलाना पड़ेगा। लोग सजग रहकर सरकारी कर्मचारियों से मिलकर जंगली पशुओं की सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं। चीतों की संख्या का बढ़ना जंगल के लिए फायदेमंद है। इस पार्क से कूनो नदी बहती है। इसीलिए इस पार्क को कूनो पार्क कहते हैं। इसका चयन बहुत सोच समझकर किया गया है। आज विश्वकर्मा दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक ओर चौंकाने वाला काम किया है। इस काम से भी देश का भला ही होगा। बशर्ते ये चीते फलते-फूलते रहें।