अंग-अंग के
उतार-चढ़ाव उठान-ढलान
चमड़ी-दमड़ी बाल-बाल
चाल-ढाल का कमाल
एक-एक इंच नाप-तोल
कपड़े-खोल भिगाना-सुखाना
उठाना-बैठाना देखना-दिखाना नचाना
किया जाता है मर्दों के द्वारा
सुन्दरी प्रतियोगिता में।
एक लड़की जो
कल की माता है
पुरुष की भाग्य-विधाता है
उसके बाहरी शरीर का एक्स्-रे
किया जाता हे सुन्दरी प्रतियोगिता में।
फिर
दुनिया को गुमराह करने के लिए
किया जाता है टोटका
हाजिर जवाबी कौशल का।
लड़की की ऐसी नुमाइश
जर्रा-जर्रा,
मर्दों के मनोरंजन की
बेहया हवस है,
यह सरासर धोखा
नारी गरिमा का तमाशा है।
( virendra dev gaur )
chief-editor