वीरेन्द्र देव गौड़/ एम0एस0 चौहान
मंत्री सौरभ बहुगुणा कुछ कर गुजरने की ठान रहे हैं। वे चाहते हैं कि तीन साल के अन्दर उत्तराखण्ड को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया जाए। मंत्री जी का इरादा अच्छा है। उत्तराखण्ड में ऐसे ही प्रयासों की जरूरत है। जिनके बलबूते उत्तराखण्ड में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ें। दूध के मामले में सरकार दुग्ध उत्पादन के लिए लोगोें को उत्साहित करना चाहती है। सरकारी सहायता भी बढ़ाई जाएगी ताकि लोग इस कारोबार में मन लगाकर काम करें। सरकार चारा उत्पादन, दुधारू गायों और भैसों की संख्या में बढ़ोत्तरी जैसे काम करने जा रही है। सरकारी सहायता यानी सब्सिडी के साथ-साथ आसान शर्तों पर कर्ज जैसे उपाय इस मामले में कारगर साबित होंगे। दुग्ध उत्पादन की उत्तराखण्ड में भरपूर गुंजाइश है। दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड कोई मुश्किल काम नहीं है। यह संभव है और दो कदम आगे जाकर उत्तराखण्ड को दूध निर्यातक राज्य बनाया जा सकता है। सौरभ बहुगुणा जी को अपना जोश थोड़ा और हाई करना पडे़गा। जोश और होश एक सिक्के के दो पहलु होते हैं। जोश के बिना बड़े काम नहीं होते। लेकिन सरकार को यह भी मानना पड़ेगा कि देशी गाय का दूध स्वास्थ के लिए दवाई का काम करता है। कहीं हम देशी गायों की पीढ़ी ही खत्म न कर दें। देशी गायों का अपना महत्व है। जोश और होश में लोभ नहीं आना चाहिए। लोभ बहुत खतरनाक होता है। जहाँ तक दुधारू गायों और भैसों का सवाल है। इनकी संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए। चारे की गुणवत्ता भी बेहतर की जानी चाहिए। विपणन यानी बाजार तक दूध पहुँचाने के काम में सरकार को मदद करनी चाहिए। दुग्ध उत्पादन सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा देना चाहिए। नौजवानों को उत्साहित किया जाना चाहिए। ताकि वे इसे बहुत बड़ा काम समझ कर आगे आएं और इसमें मेहनत करें। इतना अवश्य है कि सरकारी वरदहस्त का होना बहुत जरूरी है। सौरभ बहुगुणा का यह उत्साह बना रहना चाहिए। उत्साह वही सफल होता है जो सदा जवान बना रहता है। कहने का अर्थ यह है कि उत्साह जवान रहना चाहिए। इसमें ढिलाई या सुस्ती नहीं आनी चाहिए। इसी तरह सभी मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में रोजगार के अवसर जुटा कर उत्तराखण्ड को रोजगार के मामले में भी आत्मनिर्भर बना सकते हैं। यह भी असंभव नहीं है। गौ सेवको को सम्मान के साथ उत्साहवर्धन के लिए समय-समय पर धन मुहैया कराना भी जरूरी है जो सौरभ बहुगुणा कर रहे हैं। यह पहलू प्रशंसा के लायक है।