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खराब एलईडी बल्ब नही बदल रहा विभाग

केंद्र सरकार की उजाला योजना के तहत कम दरों पर एलईडी बल्ब खरीदने वाले लोग अब पछता रहे

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देहरादून (संवाददाता)। केंद्र सरकार की उजाला योजना के तहत कम दरों पर एलईडी बल्ब खरीदने वाले लोग अब पछता रहे हैं। गारंटी होने के बावजूद लोगों के खराब बल्ब बदले नहीं जा रहे हैं। क्योंकि, एक तो अब बल्ब वितरण के काउंटर सीमित बचे हैं और दूसरा सात वॉट के बजाय नौ वॉट के बल्ब उपलब्ध हैं। जबकि, योजना शुरू होने के डेढ़ साल तक सात वॉट के बल्ब बांटे गए थे। बल्ब बांटने का जिम्मा केंद्र सरकार के उपक्रम ईईएसएल पर है, जिस तक लोगों की पहुंच तक नहीं है। ऐसे में लोग ऊर्जा निगम के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा है। राज्य में 29 नवंबर, 2015 को देहरादून से एलईडी बल्ब वितरण योजना की शुरुआत हुई थी। एनर्जी एफिसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने अलग-अलग शहरों में विभिन्न एजेंसियों को बल्ब वितरण का जिम्मा दिया था। ऊर्जा निगम के हर सब स्टेशन में काउंटर लगाए गए थे। कुछ महीने बाद ही एजेंसियों ने कम मुनाफे का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए और कुछ समय तक बल्ब वितरण राज्य में ठप रहा। इसके बाद डाकघरों से करार किया गया। वर्तमान में राज्य में 67 डाकघरों में काउंटर चल रहे हैं। बल्ब की तीन साल की गारंटी है, लेकिन पिछले एक साल से लोगों के बल्ब ही नहीं बदल पा रहे हैं। आरकेडिया गांव के बीएस बिष्ट ने बताया कि एक दर्जन बल्ब खरीदे थे। इनमें से चार खराब हो गए हैं। सब स्टेशन पहुंचे तो वहां काउंटर नहीं था।  इसके बाद गढ़ी कैंट स्थित डाकघर के काउंटर पर गए तो यहां नौ वॉट के बल्ब थे, लिहाजा खराब बल्ब नहीं बदला जा सका। आर्यनगर निवासी अमित कुमार ने बताया कि आठ महीने से बल्ब नहीं बदले गए हैं। अब तो बाजार से नए बल्ब खरीद लिए हैं। कम से कम इन्हें बदलने के लिए कोई परेशानी तो नहीं होगी और अब तो दाम में भी ज्यादा अंतर नहीं है। सात वॉट का बल्ब बदलने के लिए देहरादून में सिर्फ आराघर सब स्टेशन में एक काउंटर संचालित हो रहा है। अधिकांश लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं है। योजना शुरू होने के वक्त छह महीने में 56 लाख बल्ब बांटने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन, दो साल से ज्यादा वक्त हो चुका है और अभी तक 43.55 लाख बल्ब की ही बिक्री हुई है। सचिव ऊर्जा ने इस लक्ष्य को अब एक करोड़ कर दिया है। लेकिन, काउंटरों की कमी और खराब बल्ब बदलने के लिए होने वाली परेशानी के चलते लोग बाजार से बल्ब खरीदना मुफीद समझ रहे हैं। यही कारण है कि बल्बों की बिक्री बढ़ नहीं रही है। पड़ोसी राज्य हिमाचल की बात करें तो यहां 77.40 लाख बल्बों की बिक्री हो चुकी है


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