ऊँट को पहाड़ के नीचे जानी आना होगा
नेता बनने के लिऐ भी एक रूल बनाना होगा
सोचो जब कोई अनपढ़-अधपढ़ नेता अफसर को आँख दिखाता होगा
खूब पढ़े-लिखे अफसर बाबू या चपरासी को कायदे समझाता होगा
ज़रा सोचो उस भले आदमी के मन में जब अपमान का सूनामी आता होगा
अच्छा जरा सोच के देखो चपरासी के दिल में क्या-क्या होता होगा
बीए एमए इंटर हाईस्कूल पास कर चपरासी का ओहदा जो पाता होगा
छोटे अफसर बड़े अफसर और पढ़े लिखे बाबू को क्या रोष न आता होगा
घर जाकर अपनी बीवी को जिल्लत के भजन सुनाता होगा
छोड़ दो भाई अगूँठा छाप अकबर का जमाना उसका तो ज़मीर रोता रहा होगा
शहंशाहों की नकल से अकल का काम न होगा
चाहे संविधान के विधान को थोड़ा बदलना होगा
लोकतंत्र के लेवल को थोड़ा ऊँचा करना होगा
अंगूठा छाप नेता बिरादरी पर फंदा कसना होगा
नेता बिरादरी को भी छुट्टा छोड़े रखना ठीक न होगा
डबल एमए डबल एम एस सी नहीं तो सिंगल एम ए सिंगल एम एस सी तो ठीक रहेगा
फर्स्ट डिवीजन नहीं तो थर्ड डिवीजन भी चलेगा
किन्तु-परन्तु को परे लोकतंत्र की लाज बचाओ
अनपढ़-अनपढ़ो की राजनीति में ऐंट्री पर रोक लगाओ
ब्यूरोक्रेसी से ज्यादा नहीं पढ़ लिख सके तो कम से कम बराबरी पर तो आओ
स्वाभिमान को इस तरह अपने दाँव पर न लगाओ
देश-विदेश में जाकर अपने ज्ञान का डंका बजाओ
राजनीति पर लगा अयोग्ता का ग्रहण अरे अब तो हटाओ
जाग जाओ होश में आओ माई बाप सुधर जाओ
बीर की सुनो ऊँट को पहाड़ के नीचे खींच के लाओ
राजनीति की चिंता छोड़ो लाजनीति पर आओ।
Virendra Dev Gaur
Chief-Editor