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विश्वास ही विश्वास भरा है विश्वास में

-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
कुमार विश्वास नाम के नक्षत्र  (star) ने 10 फरवरी 1970 के दिन हापुड़ के अन्तर्गत पिलखुआ में जन्म लिया। इनके पिता डा. चन्द्रपाल शर्मा एस.एस डीग्री कॉलेज, पिलखुआ में प्रवक्ता रहे इनकी माता का नाम श्रीमती रमा शर्मा है। चार भाईयों और एक बहन के ये सबसे छोटे भाई हैं। पिता चाहते थे विश्वास को अभियंता बनाना परन्तु विश्वास को तो किसी ओर संसार पर विश्वास था। लिहाजा, पढ़ाई पूरी करने के बाद राजस्थान के एक कॉलेज में प्रवक्ता रहकर इन्हें कविता की दुनिया ने अपनी ओर खींचा। यह खिंचाव इनके लिए जन्म-जन्मांतर वाला बन गया। कविता की दुनिया में इन्होंने धूम मचा दी। युवाओं के पसंदीदा कवि के रूप में विश्वास पूरे विश्वास के साथ छा गए। उनका जादू चला और यह जादू बरकरार है। आज भी युवा इनकी कविताओं को सुनने के लिए बेकरार है। इनका कविताओं की दुनिया से बेहद मजबूत करार है। किसी को नहीं इनकार है। इन्होंने हिन्दी में अपने शोध कार्य पर 2001 में पुरस्कार पाया। इनके शोध को उच्च स्तरीय माना गया। ‘कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना ’ इनके शोध का विषय था। इन्हें हास्य कवि डा. सुरेन्द्र शर्मा ने भी सराहा था। इनकी कविताओं का अंदाज ताजगी से भरा होता है। इनकी कविताओं के पाठ का इनका तरीका लाजवाब होता है। इनको देखकर ही तालियों की तड़तड़ाट से वातावरण चहक उठता है। अभी भी इनका विश्वास बढ़ता ही जा रहा है। जो इस बात का प्रमाण है कि इनकी प्रतिभा किसी सीमा की मोहताज नहीं।                 -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून।


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