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जय जवान जय किसान भारत के हैं स्वाभीमान-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ’भारत रत्न’ से सम्मानित लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर विशेष
राष्ट्रीय दिवस ’मानव तस्करी के बारे में जागरूकता’
जागरूकता ही इस समस्या का समाधान

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ऋषिकेश (दीपक राणा) । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री मृदुभाषी और असाधारण इच्छा शक्ति के धनी लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि के अवसर पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि भारत के भविष्य को सुन्दर आकार देने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसानों और जवानों के लिये उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना प्रदान की।  शास्त्री जी का कथन ‘‘हम सब को अब अपने क्षेत्रों में उसी प्रकार के समर्पण, उत्साह और संकल्प के साथ काम करना होगा जो एक योद्धा को रणभूमि में उत्साहित और लड़ने हेतु प्रेरित करता हैं, और हमें सिर्फ ये बोलने तक ही सीमित ना रहकर उसे वास्तविकता में कर के दिखाना होगा।’’ पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हमारे देश के युवा इस कथन को जीवन का मंत्र बना लें तो आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना साकार होते देर नहीं लगेगी। 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के साथ वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को समाप्त करने के लिये ताशकंद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये और 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में ही उनकी मृत्यु हो गई। ’मानव तस्करी के बारे में जागरूकता’ हेतु राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जागरूकता ही इस समस्या का समाधान है। कोविड-19 महामारी के समय लाखों की संख्या में लोग जाॅबलेस हुये हैं, ऐसे में मानव तस्करी की समस्या और बढ़ सकती है। लोगों को प्रलोभन देकर उनकी तस्करी की जा सकती है इसलिये स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देना होगा, वोकल फाॅर लोकल के स्वर्णिम उद्घोष को हर व्यक्ति को अपनाना होगा तथा जागरूक रहकर कार्य करने के लिये लोगों को खासकर युवाओं को प्रेरित करना होगा क्योंकि इस समय मानव तस्करी की घटनाओं के साथ मानव अंगों की तस्करी के मामलों में भी काफी वृद्धि हो रही है।  पूज्य स्वामी जी ने कहा कि जिन लोगों के पास रोजगार नहीं हैं ऐसे समुदायों को देह व्यापार और मानव अंगों की तस्करी आदि से जुड़े अपराधों का शिकार होना पड़ा। अनेक मामलों में घरेलू हिंसा, उपेक्षा, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक हिंसा भी मानव तस्करी को बढ़ा रही है, इसे कम करने के लिये प्रेम, सद्भाव और मानवतापूर्ण व्यवहार ही सबसे कारगर उपाय है।  पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हमारे ऋषियों ने ऐसे अनेक सूत्र दिये हैं कि ‘मानव मानव एक समान, सबके भीतर है भगवान’ जिन पर अनुकरण किया जाये तो अनेक समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जायेगा।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय द्वारा कोविड-19 महामारी के कारण विश्वभर में मानव तस्करी में वृद्धि की रिपोर्ट जारी की गई है।


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