बीते दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने एक बहुत बड़े और अति आधुनिक युद्ध विमान वाहक पोत को भारतीय जल सेना के हवाले कर दिया। इस युद्ध विमान वाहक पोत में अधिक से अधिक स्वदेशी तकनीकि लगी है। स्वदेशी तकनीकि से निर्मित यह शक्तिशाली युद्ध विमान वाहक जल पोत करीब-करीब स्वदेशी प्रयासों से बना है। इसमें कई युद्धक विमान एक साथ खड़े रह सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं। इसमें दो मत नहीं कि यह विमान कैरियर भारत की जल सेना के लिए बहुत उपयोगी है। यह चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के खिलाफ कारगर हथियार है। जिस तरह चीन लगातार दूसरे देशों पर धौंस जमाता रहता है। ताइवान जैसे देश को तो वह हड़पने को तैयार बैठा है। तिब्बत को हड़प चुका है। भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों को अपना बता रहा है। ऐसे दुष्ट देश के खिलाफ भारत की वायु सेना और जल सेना को अति आधुनिक बनाना बहुत जरूरी है। हमारे देश ने बीते सात वर्षों में हथियारों की विक्री में जबरदस्त बढ़ोत्तरी की और हथियारों की खरीद में कमी दर्ज की है। यह स्वदेशी अभियान का नतीजा है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनते ही शुरू कर दिया था। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आईएनएस विक्रांत जैसा शक्तिशाली लड़ाकू विमान वाहक जल पोत जल सेना को सौंप दिया गया है। यह योजना भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के समय शुरू हुई थी। तब जार्ज फर्णाडीज समता पार्टी की ओर से रक्षामंत्री हुआ करते थे। भाजपा के नेतृत्व में शुरू हुई यह योजना भाजपा के नेतृत्व में ही पूरी हुई है। इसे कहते हैं इच्छा शक्ति और अच्छी नीयत।
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