जन्म दिन 11 फरवरी पर खास
-नेशनल वार्ता ब्यूरो-
मालिनी अवस्थी भारतीयता से ओतप्रोत लोक कलाकार हैं जिन्हें किसी क्षेत्रीयता से नहीं बाँधा जा सकता है। मालिनी को अवधी, बुन्देलखण्डी, भोजपुरी और हिन्दी में गाने का महारथ हासिल है। वे ठुमरी और कजरी शैली में भी गायन कर लेती हैं। इन्होंने पौराणिक हिन्दुस्तान शास्त्रीय गायिका विदुशी गिरजा देवी से भी शिक्षा प्राप्त की। जो कि बनारस घराने से ताल्लुक रखती हैं। 11 फरवरी 1967 को इनका जन्म उत्तर प्रदेश के कन्नौज नगर में हुआ। इन्होंने लखनऊ स्थित भातखंडे विश्वविद्यालय से संगीत के अध्ययन की शुरूआत की थी। इनके पति अवनीश कुमार अवस्थी कानपुर वाले उत्तर भारत के सबसे योग्य आईएएस अधिकारियों में शामिल हैं। मालिनी जी जहाँ-ए-खुसरो नामक लोकप्रिय शास्त्रीय संगीत समारोह की नियमित कलाकार हैं। मालिनी अवस्थी की लोकप्रियता को चरम पर पहुँचाने में ‘थारे रहो बाँके श्याम…..’ की प्रस्तुति को अहम् माना जाता है। यह प्रस्तुति ठुमरी शैली में प्रस्तुत की जाती है। इस शैली में मालिनी जी को विशेष महारथ प्राप्त है। 2012 में यूपी चुनाव आयोग ने इन्हें अपना ब्रान्ड एंबेसडर बनाया था। कुम्भ मेला 2013 में भी इन्होंने अपनी लोक गायिकी से लोगों पर जादू कर दिया था। 2015 में ‘दम लगा के हईशा’ नामक फिल्म में भी इन्होंने एक सुन्दर गीत को अपनी कला से मनमोहक अंदाज में पेश किया था। पद्मश्री सम्मान से सम्मानित मालिनी जी को कई सम्मान प्राप्त हैं। परन्तु, इनकी प्रसिद्धि में सबसे बड़ा योगदान इनकी भारतीयता और इनकी विशेष योग्यताओं का है। इसीलिए, इन्हें कलाकारों की दुनिया में विशेष सम्मान प्राप्त है।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार,देहरादून।