दफ्तर-दफ्तर
बाबू-अफसर
लगा रहे हैं मंडी
अच्छी-खासी तनख्वा पाते
जिनकी सेवा की तनख्वा खाते
उन्हे कोल्हू का बैल बनाकर
तब तक ये चक्कर कटवाते
जब तक रिश्वत की भेंट न पाते
रिश्वत विरोधी नासमझों को नानी याद दिलाते
तभी जाकर ये ढीट-बेशर्म हरी झंडी हिलाते।
बी. चन्द्रकला कभी जिला अधिकारी मेरठ की
दीपक रावत जिला अधिकारी हरिद्वार के
मंगेश घिल्डियाल जिला अधिकारी रूद्रप्रयाग के
ब्रिटिश जमाने की सिविल सर्विस के तीन मौजूदा अनोखे वीरो
कर्तव्य परायणता और देश प्रेम की तीन जीवित तस्वीरो
युवा अफसरों की विशाल सेना के तीन रणवीरो
आप तीनों को फील्ड में देखकर आँखों में आँसू भर जाते
भ्रष्टाचार पर आपके करारे प्रहार देख भगत सिंह और सुभाष मन में मुस्काते
कलेजे पर पड़ती ठंडक बापू अचानक याद आ जाते
भ्रष्टाचार की चक्की में पिसते करोड़ों चेहरे चिल्लाते
अगर बीस फीसदी तक भी आप तीनों जैसे हो जाते
तो देश में बेशक राम-राज्य हम पाते
भ्रष्ट बाबू अफसर ठेकेदार बिचौलिये क्या यह देश चलाते
बनता जा रहा पूरा देश एक बड़ा मच्छी बाजार
क्या अफसरशाही बनी रहेगी सदा इसका मूक औजार
भ्रष्टाचार के राक्षस ने मचाया हुआ है हाहाकार
आप तीनों हमारे देवी-देवता और आप जैसों को हमारा आदर भरा नमस्कार
कर्तव्य की सरहदों पर डटे रहने वाले शूरवीर सिपाहियो आप हैं तो कैसी हार
भारत माता के आने-अनजाने धर्मवीरो-कर्मवीरो
भ्रष्टाचार की चट्टानों पर जमकर हो चौतरफा प्रहार
यही होगा भारत माता के चरणों में बेशकीमती उपहार।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)