नई दिल्ली । केंद्र सरकार द्वारा हज यात्रा पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करने के फैसले को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है जिसमें मुस्लिम समुदाय के कुछ संगठन सरकार के इस फैसले की आलोचना कर रहे तो वहीं कुछ ने सराहना की है। जबकि मुस्लिमों पर सियासत करने वाले राजनीतिक दल मोदी सरकार पर हमला करते नजर आ रहे है और हज के लिए हवाई यात्रा कराने वाली विमानन कंपनी एयर इंडिया को भी सवालों के घेरे में ले लिया है।
केंद्र सरकार के हज यात्रा सब्सिडी खत्म करने के फैसले को ऑल इंडिया मजलिस ए इतेहादुल मुसलिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तुष्टिकरण की सब्सिडी कहने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पिछले साल 2017 में मात्र 200 करोड़ रुपये हज सब्सिडी दी गई लेकिन मोदी सरकार इसे 700 करोड़ की सब्सिडी बताकर मामले को संवेदनशील बनाना चाहती है। ओवैसी ने कहा कि वो लंबे समय से हज सब्सिडी खत्म करने और उसका पैसा मुस्लिम लड़कियों की पढ़ाई पर खर्च करने की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने एक के बाद एक के बाद एक ट्वीट कर भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए सवाल किये है कि क्या भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार को अयोध्या, काशी, मथुरा के तीर्थयात्रियों पर 800 करोड़ रुपये खर्च करने से रोकेगी? ओवैसी ने यह भी पूछा कि क्या मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले हरेक तीर्थयात्री को मिलने वाले डेढ़ लाख रुपये रोक दिए जाएंगे? सांसद ओवैसी ने यह भी पूछा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार को सिंहस्थ महाकुंभ के लिए क्यों 100 करोड़ रुपये दिए और मध्य प्रदेश सरकार ने उस पर 3400 करोड़ रुपये क्यों खर्च किए? भाजपा की हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा समिति को एक करोड़ रुपये क्यों दिए? हैदराबाद सांसद ने यह भी पूछा कि राजस्थान सरकार ने साल 2017-18 में 38.91 करोड़ रुपये हज सब्सिडी के तौर पर दिए मगर मंदिरों के जीर्णोद्धार और हिन्दू पुजारियों की ट्रेनिंग पर 26 करोड़ रुपये खर्च किए। क्या यह तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति नहीं है? ओवैसी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर भी हमला बोला और पूछा कि जो सरकार जनेऊधारी राजनीति कर रही है, वो भी चारधाम की यात्रा के लिए हर श्रद्धालु को 20 हजार रुपये दे रही है, क्या यह तुष्टिकरण नहीं है?
एयर इंडिया पर भी उठे सवाल
हज यात्रा को लेकर एयर इंडिया पर तरह-तरह का आरोप लगाए जा रहे हैं। खबरों की माने सरकारों के ऊपर हज यात्रा पर सब्सिडी देने की पीछे एयर इंडिया को फायदा पहुंचाने की बात कही जा रही है। तर्क ये है कि इस दौरान एयर इंडिया अपने किराए में बेतहाशा वृद्धि करता है।
आमदनी पर भी सवाल?
वहीं एयर इंडिया को हज से होने वाली आमदनी पर भी सवाल उठाया जा रहा है। 1973 के बाद से हज कराने की जिम्मेदारी एयर इंडिया के महाराजा के पास आ गई थी। इस तरह से सब्सिडी का बहुत बड़ा हिस्सा एयर इंडिया के खाते में जाता था।
इसके बाद क्या होगा एयर इंडिया का?
इस बात पर भी सवाल उठाया जा रहा है कि एयर इंडिया की हालत पहली ही खस्ता है ऐसे में अगर इसतरह से एयर इंडिया से सब्सिडी वापस ली जाएगी तो आगे क्या होगा।
विमानन कंपनियां करा सकती हैं और सस्ती कीमतों पर यात्रा
कई लोगों का तर्क है कि इस यात्रा का अगर ग्लोबल टेंडर निकाला जाए तो इससे सस्ते में यात्रा कराई जा सकती है। क्योंकि अगर किसी भी एयरलाइंस को पौने दो लाख मुसाफिरों को यात्रा कराने का मौका मिले तो कई कंपनियां इसे सस्ते में मुहैया करा सकती है। लेकिन ये आरोप लग रहा है कि सरकार एयर इंडिया को इस तरह से फायदा पहुंचाती है। वैसे बता दें कि साल 2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि 2022 तक यह सब्सिडी खत्म होनी चाहिए।
हाजियों को कम किराये वाले रास्ते चुनने की मिली छूट
उधर केंद्र सरकार ने हज पर दी जाने वाली वाली सब्सिडी इसी साल से खत्म करने के बाद तर्क दिया है कि हर किसी की ख्वाहिश होती है कि वह हज अपनी गाढ़ी कमाई से करे। और सरकार तुष्टीकरण के बिना पूरे सम्मान के साथ अल्पसंख्यकों का सशक्तिकरण चाहती है। इसीलिए सब्सिडी के रूप में जा रही लगभग 700 करोड़ की राशि अल्पंसख्यक महिलाओं की शिक्षा पर खर्च होगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार 2022 तक हज सब्सिडी खत्म करना ही था। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि सब्सिडी का लाभ वैसे भी हाजियों को पूरी तरह नहीं मिलता था और वह चाहें तो अभी भी कम किराये में हज पर जा सकते हैं। इसी कारण यह शर्त हटा ली गई है कि कौन से राज्य के हाजी कहां से सउदी जाएंगे।
हर जगह से रवानगी का किराया अलग होगा
अब यह उनकी मर्जी पर है कि वह दिल्ली से जाना चाहते हैं या मुंबई या किसी और जगह से। ध्यान रहे कि अलग-अलग स्थानों से किराया भी अलग-अलग है। जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों की तुलना में दिल्ली और मुंबई से किराया लगभग आधा है। मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि पिछले दो साल में केंद्र सरकार की कोशिशों की वजह से न सिर्फ हज कोटा में लगभग 40 हजार की बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि आजादी के बाद से अब पहली बार सबसे बड़ा भारतीय जत्था हज पर जाएगा।
समुद्री मार्ग का रहेगा सस्ता विकल्प
नकवी ने बताया कि यही सम्मान के साथ विकास की बात है। इरादा नेक है इसीलिए पानी के जहाज से यात्रा का भी इंतजाम किया जा रहा है। सउदी सरकार से इसकी अनुमति मिल गई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चार लाख लोगों ने आवेदन दिया था, जिसमें 1.75 लाख को लाटरी से चुना जाएगा। 13 हजार ऐसी महिलाएं है जो बिना किसी पुरुष साथी के हज पर जा रही हैं। उन्हें लाटरी से मुक्ति दी गई है। साथ ही उनकी सुविधा के लिए दोनों स्थानों पर महिला सुपरवाइजर होंगी। मक्का और मदीने में उनके रहने के लिए भी अलग से व्यवस्था की जा रही है।