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ईवीएम पर लाल सेना की बमबारी

लाल सेना की धमकियों से प्रशासन चौकन्ना
नेशनल वार्ता ब्यूरो
लाल सेना की टोपी गुस्से से लाल हो गई है। होली की गुलाल लाल सेना के लिए फीकी पड़ गई है। लाल सेना एग्जिट पोल के नतीजों से डर गई है। लाल सेना के सरदार बौखलाए हुए हैं। कह रहे हैं कि वाराणसी के डीएम और इलाके के कमिश्नर को चुनाव आयोग ने हटाया नहीं तो आन्दोलन होगा। लाल सेना एग्जिट पोल के अनुमान को भाजपा से भी अधिक गंभीरता से ले रही है। वह मान बैठी है कि उसे अब 5 साल और इंतजार करना पड़ेगा। 5 साल कोई छोटा मोटा समय नहीं होता। लाल सेना के सेनानी और सिपाही सड़कों पर उतरने को तैयार हैं। दंगा करने की आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। स्वभाव जोर मार रहा है। भाजपा बचाव की मुद्रा में है। लाल सेना को शांत रहने का सुझाव दे रही है। वाराणसी के डीएम स्पष्ट कर चुके हैं जिन ईवीएम मशीनों को निशाना बनाया जा रहा है। उन मशीनों का मतदान से कोई लेना देना नहीं है। ये मशीनें तो कर्मचारियों को मतगणना के प्रशिक्षण के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाई जा रही थीं। स्वामी प्रसाद मौर्य समझ चुके हैं कि ऐन वक्त पर उनका भाजपा छोड़ कर लाल सेना में शामिल होना और यह कहना कि उन्होंने भाजपा के ताबूद में आखिरी कील ठोक दी है- मतदाताओं को रास नहीं आया। दारा सिंह चौहान का भी ऐन वक्त पर सपा के पाले में जा खड़े होना लोगों को पसन्द नहीं आया। राजभर साहब अगर अपनी सीट बचा लें तो गनीमत रहेगी। कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी के सरदार भाजपा से खार खाये बैठे किसानों और मुस्लिम मतदाताओं की बदौलत चुनाव मैदान में गदा लहरा रहे थे। उन्हें समझ में आ चुका है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट किसानों ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया है। कुछ घंटों बाद सपा को अपनी करारी हार का सर्टिफिकेट मिल जाएगा। -सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला (वीरेन्द्र देव), पत्रकार, देहरादून।


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