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शिक्षा और संस्कार साथ-साथ-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

‘स्थापना दिवस समारोह’

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं कुलपति सीसीएस यूनिवर्सिटी, मेरठ श्री एन के तनेजा जी ने किया सहभाग

महामना सफल समाज सुधारक और नीति निर्माता

ऋषिकेश(दीपक राणा)। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने महामना मालवीय मिशन, मेरठ द्वारा आयोजित ‘स्थापना दिवस समारोह’ में सहभाग कर अपने आशीर्वचनों से सभी को अनुग्रहित किया।

इस कार्यक्रम का आयोजन बृहस्पति भवन, सीसीएस यूनिवर्सिटी, मेरठ में किया गया। इस अवसर पर कुलपति सीसीएस यूनिवर्सिटी, मेरठ श्री एन के तनेजा जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ‘‘महामना और कर्मयोगी श्री मदन मोहन मालवीय जी, महान शिक्षाविद्, उत्कृष्ट वक्ता और एक प्रसिद्ध राष्ट्र नेता थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों, उद्योगों को बढ़ावा देने, देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया। शिक्षा, धर्म, सामाजिक सेवा और हिंदी भाषा के विकास में मालवीय जी का अद््भुत योगदान रहा। हरिद्वार के भीमगोड़ा में माँ गंगा के प्रवाह को प्रभावित करने वाली ब्रिटिश सरकार की नीतियों से आशंकित मालवीय जी ने वर्ष 1905 में गंगा महासभा की स्थापना की थी, जो माँ गंगा और पर्यावरण के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है। वास्तव में वे एक सफल समाज सुधारक और नीति निर्माता थे।’’

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि मालवीय जी ने ‘मुण्डकोपनिषद से लिये गये ‘सत्यमेव जयते’ के दिव्य सूत्र को जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया और अब यह सूत्र भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है। वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना उनकी शिक्षा के प्रति विशेष लगन को दर्शाता है। शिक्षा के क्षेत्र में मालवीय जी ने अभिनव योगदान दिया। वर्तमान समय में शिक्षक एवं शिक्षण पर पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय मिशन की ‘अर्पित’ (एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग) एक ऑनलाइन पहल है ‘स्वयं’ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके उच्च पेशेवर शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठी पहल को कार्यान्वित कर जा रहा है यह अद्भुत इनिशिएटिव है।

पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग के अन्तर्गत लीडरशिप फॉर अकादमीशियंस प्रोग्राम (लीप) मौजूदा उच्च शिक्षा के प्रमुखों और प्रशासकों की प्रबंधकीय क्षमताओं को और बेहतर बनाने तथा उच्च शिक्षा प्रणालियों के प्रबंधन में नई प्रतिभाओं को विकसित और आकर्षित करने के लिये यह पहल शुरू की गई है जिसका उद्देश्य भविष्य में नेतृत्व की भूमिकाएँ संभालने की क्षमताओं को विकसित करना अत्यंत ही प्रेरणादायी पहल है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि बच्चों को ज्ञान और संस्कार, शिक्षा के माध्यम से प्राप्त होते हैं तथा अगली पीढ़ी तक ज्ञान को स्थानांतरित करना भी शिक्षा की ही एक सुन्दर प्रक्रिया है। शिक्षा को कर्म से जोड़ने के लिये महामना जी का चिंतन अत्यंत प्रभावी है। शिक्षा के क्षेत्र मे महामना जी की दृष्टि देशकाल एवं परिस्थिति के हिसाब से अत्यंत लाभदायक है। प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक शिक्षा के स्वरूप, उद्देश्य, लक्ष्य आदि पर कई बार चिंतन हुआ परन्तु मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मालवीय जी के विचारों की प्रासंगिकता शिक्षा के वास्तविक स्वरूप को खोजने और लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। भारतीय संस्कृति और हमारे ऋषि ने ‘सा विद्या या विमुक्तये’ का सूत्र देकर शिक्षा की महत्ता को समझाया है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ‘स्थापना दिवस समारोह’ के समापन अवसर पर सभी विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया।


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