सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला द्वारा रचित-
Virendra Dev Gaur Chief Editor (NWN)
हम कम से कम
दस हजार साल से हिन्दू हैं
हम ही पहले आर्य कहलाए
हम कहीं बाहर से नहीं आए
मूर्ख मैक्समूलर ने हमें बाहर से आने के सपने दिखाए
उसने कई-कई इतिहासकार भरमाए।
किन्तु अब
अपनी बात करते हैं
हम सच से आँखे मिलाने में डरते हैं
हम आज भी गुलामों जैसा बर्ताव करते हैं
अपने कर्मों से खुद की चुगली करते हैं।
देखो न चारों ओर
बमबारी का आतंक है
रावण की सेना का होंसला बुलन्द है
राम की सेना असहाय और दंग है
श्रीराम और रावण की यह कैसी जंग है
जिसमें शांतिप्रिय मर्यादा पुरूषोत्तम अपंग है
राक्षसराज रावण का घर-घर मचा हुड़दंग है।
आओ हम सब महान हिन्दू मिलकर गाएं
हर साल बाकायदा दीपावली मनाएं
मोमबत्तियाँ सुलगाएं लड़िया जलाएं
दिल में श्रीराम घुसने न पाएं
अयोध्या धाम के बाहर उन्हें टैंट में ठहराएं
उन्हें अयोध्या धाम में एक टुकड़ा जमीन को तरसाएं
सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर उन्हें भिखमंगा बनाकर खड़ा कराएं
राजनीति का उनको मोहरा बनाएं
रावण की सेना बनकर दीपावली में धमाके करें और करवाएं
श्रीराम के उसूलों की धज्जियाँ उड़ाएं
जमकर चौतरफा प्रदूषण फैलाएं
आओ हम सब मिलकर खुद की खिल्ली उड़ाएं
दिमागी दिवालियापन का परचम लहराएं
जय श्रीराम के जमकर नारे लगाएं।