Breaking News
3333

हमारी श्रद्धा नदियों का श्राद्ध न करें -स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 -अनंत चतुर्दशी की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनायें

3333

देहरादून /ऋषिकेश (दीपक राणा) । परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अनंत चतुर्दशी की पूर्व संध्या पर सभी देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि हमारी नदियां और अन्य जलराशियां देश की जीवन रेखा है। जल, नहीं होगा तो कुछ भी सम्भव नहीं है। न हम होंगे न हमारी आने वाली पीढ़ियां होगीं, इसलिये हमारे द्वारा जो कुछ भी नदियों में प्रवाहित किया जाता है उस पर चितंन करने की आवश्यकता है कि हम जो प्रवाहित कर रहे हैं क्या वह ईकोफ्रेंडली है?

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि अगर हम गोबर, मिटटी और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बनी भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना करते हैं तो उनका विसर्जन जल में किया जा सकता है परन्तु अगर प्रतिमायें थर्मोकोल या अन्य उत्पादों से बनी है तो हमें ऐसी प्रतिमाओं का विर्सजन जल में नहीं करना चाहिये, क्योंकि जिन परम्पराओं से पर्यावरण बिगड़ता हो उन परम्पराओं पर अब ध्यान देने की जरूरत है। हमारी श्रद्धा नदियों और जलराशियों का श्राद्ध न करें इसलिये ऐसी परम्पराओं को हमें बदलना होगा। इसलिये गणेश विसर्जन करें लेकिन नये सर्जन के साथ। उन्होंने बताया कि हम परमार्थ निकेतन में गणेश चतुर्थी के अवसर पर गोबर से बने श्री गणेश जी की स्थापना करते हैं तथा अनंत चतुर्दशी को वेदमंत्रों के साथ गणेश जी की मूर्ति को जमीन में गढ्ढा खोदकर स्थापित कर देते हैं, इससे जैविक खाद तैयार हो जाती है और यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। पूजित मूर्तियों का सम्मान भी बरकरार रहें, हमें इसका भी ध्यान रखना होगा।
पूज्य स्वामी जी ने कहा वर्तमान समय में प्लास्टिक और प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों से बाजार लदे हुये हैं परन्तु इन उत्पादों से बनी प्रतिमाओं का कोई शास्त्रीय विधान नहीं है। शास्त्रीय विधान में तो गणेश जी की प्रतिमा को गोबर से बनाकर ही पूजन करना तत्पश्चात विधिपूर्वक उस प्रतिमा का विसर्जन करना चाहिये। वर्तमान समय में बाजारों में भगवानों की बड़ी-बड़ी मूर्तियां मिलती है और उनका पूजन करने के पश्चात उन मूर्तियों का नदियों में एवं तालाबों में विसर्जन किया जाता है उससे प्रदूषण तो बढ़ता ही है साथ में पूजित प्रतिमाओं की दुर्गति भी देखने को मिलती है, मूर्तियां लम्बे समय तक अस्त व्यस्त रूप में इधर-उधर पडी रहती है, इससे श्री गणेश जी का भी अनादर भी होता है तथा यह दृश्य देखने वालों में भी अश्रद्धा उत्पन्न होती है, इसलिये शास्त्रों के अनुरूप एवं पर्यावरण की रक्षा करते हुये गणेश जी का विसर्जन करना होगा। आईये हम संकल्प लें कि हम अपने पर्व और त्योहारों को ईको फ्रेंडली तरीके से मनायेंगे जिससे हमारा पर्यावरण भी बचेगा और हमारी पीढ़ियां भी बचेगी।

 -ईकोफ्रेंडली प्रतिमाओं का ही हो जलराशियों में विसर्जन


Check Also

केदारनाथ उपचुनाव को एक तरफा जीत रही भाजपा, विकास के नाम पर वोट करेंगे केदारवासी : गणेश जोशी

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने केदारनाथ उपचुनाव प्रचार के अंतिम चरणों में केदारनाथ विधानसभा के …

Leave a Reply