भारत की बात की जाए तो
सत्रहवी-अट्ठारहवी-उन्नीसवीं सदी के
क्रूर-शोषक महाजनों के
अवतार हैं आज के बैंक साक्षात।
वे लाचारों-गरीबों के लिये
जल्लाद बन जाया करते थे
कभी तो बाकायदा यमराज हो जाया करते थे।
कथित आधुनिक युग के बैंक
महाजनों की उसी बदनीयत को आगे बढ़ा रहे हैं
खास लोगों की मिलीभगत से
खास लोगों और खुद के अनैतिक स्वार्थों के लिये
नाखास ग्राहकों का खून निचोड़ रहे हैं
देश की अर्थव्यवस्था की जड़ों में मट्ठा डाल रहे हैं।
भगाए गए ललित मोदी
भगाए गए विजय माल्या
भगाए गए नीरव मोदी और उसके मामू मेहुल चौकसी
ये सभी ज्ञात-अज्ञात भगौड़े राजा-महाराजा
बैंकों के माई-बाप हैं
हम साधारण ग्राहक इन लाट साहबों के लिये
मात्र बेजान मामूली मोहरे हैं।
राजनीतिक-सरपरस्तो
तुम्हारी लापरवाही कहूँ या मटरगश्ती
तुम्हारी मिलीभगत कहूँ या नालायकी
हजारों-हजार बेगुनाह किसानों-गरीबों के
हत्यारे हैं ये आधुनिक युग के महाजन।
Virendra Dev Gaur
Chief Editor (NWN)