(1)
राजनाथ की आसमानी-चीता राफेल की पूजा
कुछ माह पहले देशवासियो हमने
चुस्त-दुरुस्त और प्रसन्न रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी को
फ्रांस के आसमान में आसमानी चीते की सवारी करते देखा था
नारियल फोड़कर चीता मशीन पर स्वास्तिक का उन्हे तिलक लगाते देखा था
फाइटर-पायलट वाला उनके अन्दर झलकता विश्वास अनोखा देखा था
माँ भारती के सम्मान और सुरक्षा का वह भी एक पल उल्लास-सरीखा था।
जैसा कि बताया जा रहा है भारतीयो
छत्तीस में से पाँच राफेल उनत्तीस जुलाई को भारत में होंगे
अन्तर्राष्ट्रीय आसमान को चीरते-चहकाते
भारत के आसमान में जोर-जोर से गरजेंगे
हमारे दो शैतान-पड़ोसी कान बन्द कर देखेंगे
ये खुरापाती पड़ोसी जो भी सोचेंगे-समझेंगे
हम तो अपनी शर्तो पर इन्हें जब चाहें तब झटका देंगे
शक्ति के बूते अपनी मातृभूमि छीन कर वापस लेंगे।
सनातन परम्पराएं अपनी रही हैं सदा महान
ऐ दुनिया वालो अब अच्छी तरह लो तुम भी जान
दूसरों की मातृभमि पर गड़ाते हैं नजरें ये बेईमान
हम तो सब की मातृभूमि का करते हैं पूरा सम्मान
अपनी हर एक इंच जमीन वापस लेने की ली है अब हमने ठान
हमारे लिए सब कुछ है माँ भारती की आन, बान और शान
पूरा करके रहेंगे हम अपना नैसर्गिक अरमान
माँ भारती के लिए जीते हैं और माँ भारती के लिए देंगे जान
जंग-ए-मैदान में घुटनों पर आकर बात जाओगे तुम भी मान
तुम दोनों मुल्कों के अन्दर नहीं बचा जरा सा भी ईमान
एक तो तिब्बत को कर चुका है बेदम-बेजान
दूसरा भारत के खिलाफ छेड़े हुए है जिहाद जी-जान
अब तो दोनों खुलकर जिहादी-आतंक को दे रहे हैं मान
उईगुर मुसलमानों के लिए जल्लाद बना हुआ है ड्रैगनिस्तान
इसके बावजूद ड्रैगन का दोस्त बना हुआ है बेशर्म जिहादिस्तान
हिन्दू, ईसाई और यहूदी के लिए शैतान बन जाता है कट्टर-मुसलमान
लेकिन उइगुर मुसलमानों की बर्बादी पर बना हुआ है खामोश-अनजान।
पहले प्रधानमंत्री ने एलएसी के पास जाकर
कुछ दिन बाद रक्षामंत्री ने दोनों तरफ के मोर्चों पर जाकर
बता दिया दोनो शरारती मुल्कों को फौजी-अन्दाज अपनाकर
विध्वंसक हरकतों से बाज आ जाने को कह दिया चेताकर
संसार की शांति भंग न करने को आगाह कर दिया खुलकर
कब्जाए कश्मीर में बाँध बनाने का दुस्साहस मत कर
जिहादिस्तान तू ड्रैगनिस्तान से ऐसी नाजायज हिस्सेदारी मत कर
गिलगिट-बालटिस्तान में ऐसा कोई अतिक्रमण मत कर
वहाँ माँ सिन्धु नदी हमारी है
सिन्धु नदी के साथ-साथ माँ किसन-गंगा भी हमारी है
जिसे तू नीलम कहता है
जिसे तू अपने कसाई हाथों से छूता रहता है
लद्दाख है अकसाई के बिना अधूरा
गिलगिट-बालटिस्तान से लेकर अक्साई तक रहा है कश्मीर पूरा
तू और तेरा मालिक डैªगन है जमूरा।
समय रहते समझ जाओ तुम दोनों
ऊल-जुलूल हरकतें छोड़ो तुम दोनों
नया भारत त्रेता युग की तरह घर में घुसकर मारेगा
संसार में अशान्ति फैलाने का उचित दंड तुमको देगा
दानवी मंसूबे त्याग दो तुम दोनों
मानव के कल्याण में जुटो तुम दोनों
यही तुम्हें भारत के दोनों नेताओं ने समझाया
सरहद के पास तक जाकर तुम्हें याद दिलाया
सँभल जाओ अब तुम्हारे मुकाबले में खड़ा नया भारत है
सठे साठ्यम समाचरेत की मुद्रा में हमारा भारत है।
(2)
गुलशन कुमार से सुशान्त तक के जख्म
अर्नब जी एक बार फिर आपको धन्यवाद
शुभ्राष्टा जी आपको भी साधुवाद
कंगना जी जैसी नायिका रहे सदा नाबाद
सच की इस लड़ाई में हो दुश्मन बर्बाद
गुलशन कुमार से सुशान्त तक का यादों का कारवाँ है आबाद
फिल्म इंडस्ट्री में आज भी रहते हैं जिहादी मौलाना साद
दुबई और जिहादिस्तान से मिलती है जिनको दाद।
फिल्म इंडस्ट्री में टुकड़े-टुकड़े गैंग का फैला हुआ है जाल
दाउद और दाउद जैसों का आज भी है जंजाल
याद करो गुलशन कुमार की दिन-दहाड़े निर्मम हत्या का बबाल
फिल्म इंडस्ट्री में आज भी जिहाद चलता है अपनी चाल
खींच कर रख दी जाती है यहाँ स्वाभिमानी की खाल
कंगना और शुभ्राष्टा की बातों में है सच का भूचाल
लेकिन गुजरे साठ-सत्तर सालों से फिल्म इंडस्ट्री है बेहाल
मुझे तो पुनीत इस्सर के उस घूँसे में भी दिखी थी शैतानी चाल
जिसने अमिताभ को कर दिया था निढाल
चौंक गए दोस्तो चलो आगे बढ़ते हैं, बहरहाल।
फिल्म इंडस्ट्री में चल रहा है बरसों से जिहाद का खेल
फिल्मी माफियाओं की दौड़ती है यहाँ रेल
वामपंथियों की मची हुई है यहाँ रेलमपेल
मनोज कुमार जी के बाद फिल्म इंडस्ट्री राष्ट्रवादियों की बन गई जेल
क्षुद्र स्वार्थों की है यहाँ ठेलमठेल
उखाड़ फेंकना जरूरी है यह देशद्रोही अमरबेल।
अर्नब जी पालघर में जूना अखाड़ा के साधुओं का हत्याकांड
मासूम और तेजस्वी अभिनेता सुशांत का रचा गया देहान्त
कंगना जी की आवाज को दबाने की कोशिश दुर्दान्त
ये सब उन शक्तियों का है काम
जिनके लिए गाली हैं माँ भारती और राम।
-सावित्री पुत्र वीर झुग्गीवाला, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून।