देहरादून/ रानीखेत । ( सू0 वि0) मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि ही नहीं वीर भूमि भी है। यहां के सैनिकों ने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अदम्य साहस का परिचय दिया है। मुख्यमंत्री रानीखेत में नरसिंह मैदान में उपस्थित पूर्व सैनिकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रवाद व देशभक्ति की परम्परा रही है। यहां के जवानों की रग-रग में ‘‘मैं से पहले देश भक्ति’’ का भाव है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों सहित सैनिक आश्रितों के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक महत्वाकांक्षी योजनायें चलाने का निर्णय लिया है। वीर सैनिकों व शहीदों के आश्रितों को सरकारी नौकरी सहित जिला स्तर पर को-आपरेटिव समूह बनाने के लिए प्रयास किये जा रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों में होम स्टे योजना चलायी जा रही है। इसके माध्यम से पूर्व सैनिकों को पर्यटन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। वनाग्नि को रोकने और भूतपूर्व सैनिकों व युवाओं को स्वावलम्बन की ओर अग्रसर करने के लिये पिरूल नीति लागू की गई है। पिरूल से विद्युत उत्पादन भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि ढाई नाली जमीन किसी के पास है तो वह अपनी जमीन में इस उद्योग को स्थापित कर विद्युत उत्पादन कर सकता है साथ ही 10-12 लोगों को रोजगार भी मुहैया कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छावनी परिक्षेत्र सहित रानीखेत के आसपास के क्षेत्र में पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए रानीखेत में कोसी-भुजान पेयजल पम्पिंग योजना तैयार की जा रही है। इस योजना की डीपीआर तैयार कर ली गयी है जिसकी लागत 60 करोड़ रू0 है जिसमें 13 करोड़ सेना द्वारा दिया जायेगा शेष 47 करोड़ रू0 राज्य सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूतपूर्व सैनिकों की समस्याओं के निदान के लिये सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं। देहरादून की तर्ज पर हल्द्वानी में भी सेना के सहयोग से एक छात्रावास बनाया जायेगा जिसमें सैनिकों एवं उनके आश्रितों के बच्चों को अच्छी शिक्षा सुविधा प्रदान की जायेगी।
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