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कागज में सिमटा बाल विकास परियोजना

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केन्द्रों पर लटक रहे ताले
साहब आखिर कब तक खुलेंगे केन्द्रों पर लटकते ताले
क्या लाभार्थियों तक पहुचेगा पोषाहार
सेवरही/कुशीनगर । गांव में रहने वाली महिलाओं, किशोरियों व बच्चों को स्वस्थ रहने के लिए चल रही बाल विकास परियोजना सिर्फ आंकड़ों का खेल बनकर रह गयी है।
उलेखनिय है कि तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के सभी विकास खंड क्षेत्र के सभी गावो में आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। सभी केन्द्रों पर एक कार्यकत्री व एक सहायिका को तैनात किया गया। हर केन्द्र पर कागजो में बच्चे पंजीकृत हैं। सभी के लिए नि:शुल्क शिक्षा, किशोरियों, धात्री व गर्भवती महिलाओं के नियमित स्वास्थ्य के देखभाल की व्यवस्था है। परन्तु क्षेत्र के अधिकतर गावो के ग्रामीणों का कहना है कि यह सब सिर्फ कागजों में होता है। केन्द्र या तो खुलते ही नहीं या कभी कभी जांच की भनक लगने पर खुलते भी हैं तो वहां बच्चे कभी नहीं दिखाई देते हैं। वही पोषाहार तो गावो तक ही नही पहुचता हैं और गोदाम से ही बिचौलियों के हवाले कर दिया जाता है। सबसे आश्चर्य कि बात है कि बहुत सी कार्यकत्रिया तो अपने केन्द्रों से सम्बंधित गावो में निवास न करते हुए दूर शहरों में रह रही हैं और कागजो में वही से केन्द्रों का संचालन कर रही हैं। ऐसा नही है कि इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को नही है लेकिन उनकी चुप्पी से कागजो में खेल जारी है।


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