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मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने जल संसाधन विभाग की योजनाओं को लेकर वरीय अधिकारियों के साथ की उच्च स्तरीय बैठक, दिए अहम निर्देश

◆ मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा- सिंचाई परियोजनायें समय सीमा में पूरी होनी चाहिए
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◆ मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग से कहा- भूमिगत पाइपलाइन सिंचाई परियोजनाओं को दें प्राथमिकता
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◆ मुख्यमंत्री ने विस्थापन से जुड़ी लंबित समस्याओं का त्वरित समाधान करने का दिया निर्देश
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● हर खेत तक पानी पहुंचाना राज्य सरकार का लक्ष्य

● सिंचाई सुविधाओं का तेजी से कर रहे विस्तार

रांची (जनसम्पर्क विभाग)।  झारखण्ड हर खेत तक पानी पहुंचाना राज्य सरकार का लक्ष्य है। इसके लिए सिंचाई सुविधाओं का विस्तार जरूरी है। हमारे किसान सालों भर कृषि कर सकें, इसके लिए खेतों में पटवन की व्यवस्था होनी चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चम्पाई सोरेन ने आज जल संसाधन विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में विभिन्न सिंचाई योजनाओं को तय समय सीमा में पूरा करने के लिए उसके निर्माण कार्य में तेजी लाने का अधिकारियों को निर्देश दिया।

भूमिगत पाइपलाइन सिंचाई परियोजनाओं पर दिया विशेष जोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सिंचाई की कई आधुनिकतम तकनीकें हैं। इसमें मेगा लिफ्ट और भूमिगत पाइपलाइन सिंचाई परियोजनाएं काफी कारगर साबित हो रही हैं। झारखंड में भी भूमिगत पाइपलाइन सिंचाई परियोजनाओं को विस्तारित किया जा रहा है। इससे फायदा है कि ना तो जमीन अधिग्रहण की समस्या आएगी और ना ही डैम और जलाशय की वजह से गांव डूबेंगे। इसके साथ भूमिगत पाइपलाइन के माध्यम से एक बड़े इलाके में बिना किसी अड़चन के काफी कम समय में सिंचाई सुविधाओं को पहुंचा सकते हैं। इससे जल का भी ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग हो सकेगा।

छोटी और लघु सिंचाई परियोजनाओं पर करें फोकस

मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग से कहा कि वह छोटी सिंचाई परियोजनाओं पर विशेष जोर दे। इससे खेतों में जल्द पानी पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि वृहद एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के पूरा होने में काफी ज्यादा समय लगता है । इसकी लागत राशि भी काफी ज्यादा होती है और विस्थापन की समस्या पैदा होती है। ऐसे में छोटी-छोटी सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन से इस तरह की समस्याएं नहीं आएगी।

विस्थापन से जुड़ी समस्याओं का हो समाधान

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में ऐसी कई बड़ी सिंचाई परियोजनाएं वर्षों से लंबित है। उनके कार्य की गति काफी धीमी है। इन सिंचाई परियोजनाओं की वजह से विस्थापन से जुड़ी कई समस्याएं सामने आती है। ऐसे में विस्थापितों के समस्याओं का समाधान समाधान हो जाना चाहिए। विस्थापितों के पुनर्वास और मुआवजा से संबंधित मामले लंबित नहीं रहने चाहिए । उन्होंने कहा कि सिंचाई परियोजनाओं को इस तरह से धरातल पर उतरे कि कम से कम विस्थापन की नौबत आए।

सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली आज की जरूरत

मुख्यमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा से सिंचाई एक टिकाऊ और बेहतर विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है। ऐसे में सोलर सिंचाई प्रणालियों का इस्तेमाल हो। उन्होंने कहा कि सिंचाई पंपों और ड्रिप सिंचाई प्रणालियों को चलाने के लिए इसका इस्तेमाल होना चाहिए। इससे पर्यावरण के साथ पानी की बर्बादी को कम करने और फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसका फायदा है कि किसानों को सिंचाई के लिए बिजली पर अनावश्यक खर्च नहीं करना पड़ेगा।

इस उच्चस्तरीय बैठक में मुख्य सचिव श्री एल०खियांग्ते, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री अविनाश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अरवा राजकमल, जल संसाधन विभाग के सचिव श्री प्रशांत कुमार , अभियंता प्रमुख श्री संजय कुमार समेत अन्य अभियंता भी मौजूद थे।


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