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Chhattisgarh सिर्फ चेहरा हैं गिरीश, राजनांदगांव में रमन सिंह और भूपेश बघेल की लड़ाई

विधानसभा चुनाव के पहले चरण में राजनांदगांव के मतदाताओं के लिए यहां रमन बनाम भूपेश का मुकाबला है। कांग्रेस के प्रत्याशी गिरीश देवांगन एकमात्र व्यक्ति हैं। लगातार तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह छह विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। एक बार केंद्रीय मंत्री रहे और फिर सांसद चुने गए। छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम का चेयरमैन गिरीश है, जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सहपाठी हैं। ये चुनाव मैदान में पहली बार हैं।

क्षेत्र का चुनावी माहौल भांपने के लिए हम सबसे पहले पुराने बसअड्डे पर स्थित दुकान पर पहुंचे। यहां राजेश महोबिया, महेंद्र कुमार और उनके साथी सारंग मिले। बस अड्डे पर चल रहे निर्माण कार्य देखकर हमने सोचा कि क्या इस सरकार ने अच्छा काम किया है? छूटते ही राजेश ने कहा कि पांच साल में कुछ नहीं हुआ। 2018 में कांग्रेस ने अपने वादे भी नहीं पूरे किए। भूपेश बघेल ने डॉ. रमन के केंद्रीय मंत्री रहते घाटे के कारण बंद की गई कॉटन मिल को फिर से शुरू करने का वादा किया था। नुकसान नहीं हुआ।

शराबबंदी का वादा पूरा नहीं किया

सराफा दुकान मालिक स्वरूप जैन का मानना है कि कांग्रेस रेवड़ियां बांटकर जीतना चाहती है। किसानों को अनुदान देने की घोषणा कर रही है। लेकिन शराबबंदी का वादा पूरा नहीं किया। शराबखोरी सबसे बड़ी परेशानी है। ग्रामीणों का जीवन इससे बर्बाद हो रहा है। साजा और कवर्धा की सांप्रदायिक हिंसा का प्रभाव पूछने पर उन्होंने कहा कि जनता वादाखिलाफी और विकास के साथ जाएगी।

स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा गरम

राजनांदगांव में कांग्रेस ने रायपुर के रहने वाले गिरीश पर भरोसा जताया है, पांच स्थानीय नेताओं की दावेदारी खारिज कर दी है। स्थानीय उम्मीदवारों से कई पदाधिकारी असंतुष्ट हैं। भाजपा ने भी स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठाया है। गिरीश ने राजनांदगांव में ननिहाल होने का दावा किया है।

सरकार व्यक्तिगत है, हमारे लिए कुछ नहीं

बरकापारा में ऑटो पार्ट्स की दुकान के संचालक बबलू अहमद निराश हैं और कहते हैं कि सरकार किसी की है और कोई हमारे लिए कुछ नहीं करता। सरकार गांवों पर कई रियायतें देकर व्यापारी वर्ग पर अधिक टैक्स लगाती है। कहा कि सब जानते हैं कि हमारा वोट कहां जाता है? यहां मिले युवा मोहम्मद अफर का कहना था, विकास और रोजगार के मुद्दे पर कोरे आश्वासन ही हैं।

2018 में अटल की भतीजी ने रमन को हराया: 2018 में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने डॉ. रमन सिंह को 16933 हजार मतों से हराया था।

पहले से अधिक तेजी से विकास नहीं हुआ: महेंद्र ने कहा कि डॉक्टर साहब के सामने कोई नहीं है। गिरीश सिर्फ एक चेहरा हैं। मुख्यमंत्री बघेल उनके पीछे हैं। वही चुनाव लड़ रहे हैं, समझिए। भाजपा राज में बहुत बदलाव हुआ है। यह काम अभी भी चल रहा है, लेकिन भाजपा राज की तरह तेजी से नहीं।

रमन सिंह, भाजपा

 

  • 1999 में सांसद, केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग राज्यमंत्री बने। n 2003 से 2018 तक तीन बार सीएम। अब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

गिरीश देवांगन, कांग्रेस

  • छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के चेयरमैन हैं
  • सीएम भूपेश बघेल के सहपाठी व सियासी सहयोगी
  • पहली बार चुनाव में मैदान में

 

 


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